Koo बना सार्वजनिक क्षेत्र में एमिनेंस मानदंड शेयर करने वाला पहला भारतीय सोशल नेटवर्क

Koo बना सार्वजनिक क्षेत्र में एमिनेंस मानदंड शेयर करने वाला पहला भारतीय सोशल नेटवर्क

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-27 12:04 GMT
Koo बना सार्वजनिक क्षेत्र में एमिनेंस मानदंड शेयर करने वाला पहला भारतीय सोशल नेटवर्क

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशी ट्विटर कहा जाने वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo (कू), सार्वजनिक क्षेत्र में एमिनेंस मानदंड शेयर करने वाला पहला भारतीय सोशल नेटवर्क बन गया है। Koo ने सार्वजनिक डोमेन में "द येलो टिक" का सत्यापित टैग प्राप्त करने के लिए "एमिनेंस मानदंड" साझा किया है। कू येलो टिक - जिसे एमिनेंस कहा जाता है - समाज में भेद को पहचानता है और प्रदर्शित करता है और अपने उपयोगकर्ताओं और सोशल मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अच्छी तरह से माना जाने वाला व्यक्तित्व को बढ़ावा देता है।

Koo (कू) पर एक पीला टिक भारतीय जीवन में यूजर्स की प्रतिष्ठा, कद, उपलब्धियों, क्षमताओं और पेशेवर स्थिति को पहचानता है और उसे सेलीब्रेट करता है। कंपनी ने एक बयान में कहा, कि, इसका अर्थ है कि यूजर चाहे-  कलाकार, विद्वान, खिलाड़ी, राजनेता, व्यवसायी या किसी अन्य क्षेत्र में हो, उसको इंडियन फ्रेमवर्क में सम्मानित माना जाता है।

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Koo (कू) प्लेटफार्म पर मौजूद सभी लोगों का स्वागत करता है। कू में एमिनेंस जो कि येलो टिक के नाम से जाना जाता है, के लिए आवेदन देना चाहते हैं, रिक्वेस्ट फॉर एमिनेंस का एवोल्यूशन इंटरनल रिसर्च, थर्ड पार्टी के पब्लिक रिसोर्स और इंडियन कॉन्टेक्स्ट में किया जाता है। 
हर साल मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में कू में एक स्पेशल टीम द्वारा प्रेस्टीज नॉर्म्स की समीक्षा की जाती है। आज की तारीख में, प्राप्त रिक्वेस्ट के लगभग एक प्रतिशत के लिए एमिनेंस येलो टिक की पुष्टि की गई है और इन प्रतिष्ठित आवाजों को उनके संबंधित भाषा कम्युनिटी में प्रमुखता दी जाती है। कू यह सुनिश्चित करता है कि एमिनेंस का दुरुपयोग ना हो और ना ही यह इच्छा के अनूरूप किसी को प्रदान किया जाए।

एमिनेंस के मानदंडों पर प्रकाश डालते हुए, कू के सह-संस्थापक और सीईओ, अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “कू एमिनेंस टिक एक मान्यता है कि यूज़र भारत और भारतीयों की आवाज़ का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधि है। हमने भारत की स्थानीय वास्तविकताओं को मद्देनज़र रखते हुए एक ऐसी प्रकिया तैयार की है और हम पारदर्शिता का ख़्याल रखते हुए एक सत्यापित और ऑनलाइन बातचीत करते हुए ज़िम्मेदारी से कार्य करने वाले यूज़र बेस को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ”

Koo (कू) ऐप के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका कहते हैं, “ हमें गर्व है कि कू ने एमिनेंस को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराने के लिए अपना एक मानदंड बनाया है। चूंकि एमिनेंस का मूल्यांकन भारतीय संदर्भ में किया जाता है, इसलिए यह भारतीयों को येलो टिक प्राप्त करने में सक्षम होने की बेहतर संभावना देता है। डिजिटल बातचीत को दिलचस्प और रचनात्मक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। 

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Koo(कू) कैसे डाउनलोड करें
यूज़र्स एप को मोबाइल एप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। यूजर के पास अपने मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी का उपयोग करके रजिस्टर करने का विकल्प होता है। एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाने के बाद, वे कू पर अपने फेवरेट सेलिब्रिटी, एथलीटों, राजनेताओं, एंटरटेनर्स और विचारशील व्यक्तित्वों को फॉलो कर सकते हैं। कू यूज़र्स को उनकी मूल भाषाओं में, अपनी इच्छानुसार बातचीत करने की अनुमति देकर सशक्त बनाता है।

Koo (कू) के बारे में
Koo (कू) की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं में एक माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच के रूप में की गई थी। कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं। एक ऐसे देश में जहां भारत का सिर्फ 10% हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहां एक ऐसे सोशल मीडिया मंच की काफ़ी ज़रूरत है जो भारतीय यूज़र्स को इमर्सिव भाषा अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें जुड़ने में मदद कर सके। कू उन भारतीयों की आवाज़ को एक मंच प्रदान करता है जो भारतीय भाषाओं को पसंद करते हैं। 

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