दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश के खिलाफ गूगल ने की अपील
गूगल दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश के खिलाफ गूगल ने की अपील
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गूगल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल-पीठ के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) के आवेदन पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को गूगल के नए इन-एप बिलिंग पॉलीसी को चुनौती दी गई थी। एकल-पीठ ने सीसीआई से 26 अप्रैल तक आवेदन पर फैसला करने के लिए कहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने अपील का उल्लेख किया। उन्होंने अनुरोध किया कि मामले को मंगलवार को सूचीबद्ध किया जाए।
सेठी ने अदालत से कहा, आदेश कल पारित किया गया था। इस पर आज दोपहर 2:30 बजे सीसीआई में निर्धारित है और निर्णय आज लिया जाना है। सीसीआई में कोरम की कमी है। हालांकि पीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया।
सोमवार को आदेश सुनाते हुए न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की एकल-पीठ ने सीसीआई को 26 अप्रैल को या उससे पहले आवेदन पर फैसला करने के लिए कहा था, जिसमें टेक दिग्गज को निर्देश देने की मांग की गई थी, जब तक कि इस मुद्दे पर सीसीआई द्वारा निर्णय नहीं लिया जाता। न्यायमूर्ति गेडेला ने कहा, 26 अप्रैल, 2023 को या उससे पहले कानून के अनुसार सुनवाई और विचार करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा दायर प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 42 के तहत आवेदन लेने के लिए सीसीआई को निर्देश देने में कोई बाधा नहीं है।
अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि यहां की गई टिप्पणियां केवल इस न्यायालय के समक्ष वर्तमान सूची को तय करने की सीमा तक हैं और मामले की योग्यता पर किसी प्रकार की अभिव्यक्ति नहीं मानी जाएगी। इसलिए सभी पक्षों के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उचित कार्रवाई की जाएगी। अंतरिम राहत के लिए आवेदन प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 42 के तहत दायर किए जाते हैं, जो आयोग को अपने आदेशों का उल्लंघन करने वाले पक्ष के खिलाफ आदेश पारित करने की शक्ति देता है।
गूगल की नई भुगतान नीति 26 अप्रैल से लागू होने जा रही है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम का ही नया संस्करण है जो ऐप डेवलपर्स को तीसरे पक्ष को भुगतान करने के लिए प्रोसेसर चुनने की स्वतंत्रता का झांसा भर देता है। याचिका में कहा गया है कि नई बिलिंग पॉलिसी की आड़ में तीसरे पक्ष के भुगतान प्रोसेसर का उपयोग करने के बावजूद गूगल डेवलपर से मात्र चार प्रतिशत कम दर पर सेवा शुल्क वसूल करेगा।
याचिका में कहा गया है, वर्तमान में इस तरह के लेनदेन के लिए किसी भी कमीशन का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस तरह के लेनदेन में जीबीपीएस का उपयोग नहीं किया जाता है। जब गूगल की भुगतान सेवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो गूगल द्वारा 26 प्रतिशत कमीशन किसी भी हाल में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह अनुचित और मनमाना है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐप डेवलपर्स को जीपीबीएस का इस्तेमाल नहीं करने के बावजूद लगभग इतनी ही राशि का भुगतान करना होगा। अदालत को बताया गया कि अंतिम आदेश आरक्षित होने पर सीसीआई के सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखने के बाद गूगल ने नई बिलिंग नीति पेश नहीं करने का फैसला किया।
सीसीआई ने 25 अक्टूबर 2022 को एक आदेश पारित किया जिसमें गूगल को निर्देश दिया गया था कि वह ऐप डेवलपर्स पर ऐसी कोई शर्त न लगाए जो उन्हें प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए अनुचित, बेतुका या भेदभावपूर्ण हो। याचिका में यह निर्देश भी मांगा गया है कि सीसीआई गूगल के खिलाफ गैर-अनुपालन कार्यवाही शुरू करने के मामले में आवश्यकता के सिद्धांत को वैध रूप से लागू करे।
इसमें कहा गया है, ..आवश्यकता के सिद्धांत को लागू करके सीसीआई ने बाजार और अर्थव्यवस्था के हित में प्रस्तावित संयोजनों को मंजूरी देना शुरू कर दिया है। सीसीआई द्वारा समान मानकों और गैर-भेदभावपूर्ण ²ष्टिकोण का भी पालन किया जाना चाहिए ताकि बाजार में जारी प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण से संबंधित जानकारी पर न्याय किया जा सके और उन पर रोक लगाई जा सके।
सोर्सः आईएएनएस
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