उत्तरप्रदेश उपचुनाव 2024: मिल्कीपुर में उपचुनाव न होने पर सपा ने EC से मांगा जवाब, सीसामऊ सीट पर घोषणा को लेकर खड़े किए सवाल
- यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुाव
- मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव न होने पर मचा बवाल
- सपा ने घोषणा न करने पर EC से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। राज्य की 10 विधानसभा सीटों में से 9 पर उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को तारीखों का ऐलान कर दिया है। आयोग के मुताबिक, इन सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव चुनाव होंगे। जबकि, नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे। हालांकि, फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों की कोई घोषणा नहीं की गई है। इसके बाद से सूबे में सियासी पारा चढ़ गया है। इस पर अब समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का रिएक्शन सामने आया है। सपा प्रवक्ता ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले थे। लेकिन, आयोग ने सिर्फ 9 ही सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया है। सपा प्रवक्ता ने कहा कि आयोग ने मिल्कीपुर में उपचुनाव को लेकर कोर्ट में कोई मामला पेंडिंग की बात नहीं कही। चुनाव आयोग से सपा का सवाल है कि क्या कोर्ट ने उन्हें ऐसा कोई आदेश दिया है? सीसामऊ सीट पर भी याचिक लंबित है। इसके बावजूद वहां पर चुनाव होने का ऐलान किया गया है। सपा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है कि आखिर मिल्कीपुर में उपचुनाव क्यों नहीं हो रहे। जबकि, सीसामऊ में उपचुनाव कराएं जा रहे हैं।
भाजपा ने EC के ऐलान पर दिया बयान
हालांकि, इस बारे में भाजपा का कहना है कि यह फैसला चुनाव आयोग का है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह चुनाव आयोग का निर्णय है। इसे लेकर न्यायालय में वाद चल रहा है। गौरतलब है कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक गोरखनाथ की याचिक ने उपचुनाव पर रोक लगाई है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद के नामांकन नोटरी में त्रुटि के संबंध में याचिका दाखिल की गई थी। फिलहाल, हाई कोर्ट में गोरखनाथ की याचिक विचारधीन हैं। साल 2022 में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की है।
साल 2022 से जुड़ा है मामला
उत्तरप्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव साल 2022 में भाजपा के पूर्व विधायक गोरखनाथ की इलाहाबाद हाईकोर्ट में दर्ज याचिका के चलते टली है। दरअससल, साल 2022 में गोरखनाथ ने अवधेश प्रसाद के खिलाफ याचिका दर्ज कराई थी। यह मामला अवधेश प्रसाद के फॉर्म में गलत शपथ से संबंधित है। रिट में कहा गया है कि अवधेश प्रसाद का नोटरी जिसने तस्दीक किया था। उस तारीख में उस वकील के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि जिस तिथि में नोटरी का अधिवक्ता अभिलेख का प्रमाणीकरण करें उस तारीख में उसका लाइसेंस होना जरूरी है।