निरीक्षण में निकली सात खामियां: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पास फायर एनओसी नहीं, टंकी खाली, इमरजेंसी गेट बंद

  • नगर निगम की टीम ने किया निरीक्षण
  • शासन की गाइडलाइन का एक भी पालन नहीं
  • निगम डीन को जारी करेगा नोटिस
  • अलका मल्टीप्लेक्स में भी निकली दर्जनों अनियमितता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 04:44 GMT

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा कलेक्टर के आदेश के बाद सोमवार को नगर निगम की टीम ने आकस्मिक निरीक्षण करते हुए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सात खामियां उजागर की। सबसे बड़ी बात तो ये है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने अभी तक नगर निगम से फायर एनओसी नहीं ली है। पहले टेम्प्रेरी अनुमति जारी की गई थी। उसकी डेट खत्म होने के बाद नए सिरे से आवेदन करते हुए अनुमति हासिल करनी थी, लेकिन प्रबंधन ने इस ओर दोबारा कोई ध्यान ही नहीं दिया।

गुजरात में हुई आगजनी की घटना के बाद जागे अफसरों ने फिर से फायर एनओसी की जांच सोमवार से शुरु की है। पहली जांच सिम्स द्वारा जिला अस्पताल में संचालित वार्डों की गई। यहां फायर इंतजामों की एक भी व्यवस्था शासन की गाइडलाइन के मुताबिक नहीं मिली। फायर स्टॉफ तो यहां पहले से नहीं है। इमरजेंसी गेट भी निरीक्षण के दौरान बंद पाया गया। यदि यहां कोई बड़ी घटना घट जाए तो एक कर्मचारी भी मौके पर मौजूद नहीं था, इमरजेंसी गेट खोल सकता था। जांच रिपोर्ट तैयार करने के बाद यहां व्याप्त अनियमितता पर छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के डीन को नगर निगम नोटिस जारी करेगा।

अलका मल्टीप्लेक्स की जांच में भी यहीं अनियमितता

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की जांच के बाद नगर निगम की टीम ने सिवनी रोड स्थित अलका मल्टीप्लेक्स की जांच की। यहां भी कमोवेश जिला अस्पताल जैसे हालात थे। मल्टीप्लेक्स होने के बावजूद एनओसी नहीं थी। फायर सिस्टम खराब और पुराने हो चुके थे। इनमें से कई उपकरण किसी काम के नहीं बचे थे। इसके बावजूद जनता की जान को जोखिम में डालकर इसका संचालन लगातार किया जा रहा था। इसके पहले निगम द्वारा दो बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन इसके बावजूद कोई इंतजाम नहीं किए गए।

ये निकली दस खामियां

१ - सबसे पहले तो जिला अस्पताल और अलका मल्टीप्लेक्स के पास फायर एनओसी ही नहीं थी। एनओसी संबंधित कोई प्रक्रिया नहीं की गई थी।

२ - कई सिलेंडर या तो एक्सपायरी डेट के हो चुके थे या फिर इन सिलेंडरों में गैस ही उपलब्ध नहीं थी।

३ - आग से बचाव के लिए जो टंकिया लगाई गई थी वह खाली थी। इन टंकियों में पानी तक नहीं था। ऐसे में पूरे सिस्टम को लगाने का भी कोई मतलब नही था।

४ - बॉल्व सुधरे नहीं थे। लाइन क्षतिग्रस्त थी। ऐसे में यदि घटना हो जाए तो पानी पहुंच पाना मुश्किल था।

5- बॉल्व बंद और निरीक्षण के दौरान लाइन मेन मौके पर मौजूद नहीं था। लाइनमेन घर चला गया था। उसकी जगह कोई दूसरा कर्मचारी भी इमरजेंसी में मौजूद नहीं था।

6- इमरजेंसी गेट बंद पाए गए थे। जिस कर्मचारी के पास चाबी थी वह कर्मचारी भी निरीक्षण के दौरान डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मौजूद नहीं था।

7- मॉक डिटेक्चर चालू हालत में नहीं थे। इसका मतलब है कि यदि आगजनी हुई तो फायर अलॉर्म भी काम नहीं करेंगे।

बदहाली की वजह लचर प्रशासनिक व्यवस्था...

हर बार कोई घटना सामने आने के बाद ही प्रशासनिक अमला इन सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों को जांच के लिए पहुंचता है। इसके पहले भोपाल में हुई घटना के बाद जांच की गई थी, लेकिन बाद में नोटिस जारी कर निगम का अमला अपने दूसरे कामों में व्यस्त हो गया। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस बार भी गुजरात में हुई घटना के बाद अफसर अलर्ट हुए है। नहीं तो हालात जैसे की तैसे ही बने रहते।

इनका कहना है

- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मिली अनियमिततता पर मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस जारी करेंगे। प्रोबेजनल एनओसी के बाद परमानेंट एनओसी के लिए अस्प्ताल प्रबंधन द्वारा अप्लाई नहीं किया गया। यही स्थिति अलका मल्टी प्लेक्स की भी है।

- विवेक चौहान

सहायक यंत्री, नगर निगम

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