Amravati News: यहां से चार महिलाएं पहुंच चुकीं विधानसभा, कांग्रेस की वसुधाताई और यशोमति ठाकुर मंत्री भी बनीं
- जिले से मंत्री बनने वाली पहली महिला विधायक थीं वसुधाताई देशमुख
- शिवसेना के गढ़ में पूर्व राज्यमंत्री को पराजित किया था सुलभा खोड़के ने
- एड. यशोमति ठाकुर को भी मिला मंत्री पद
Amravati News : अमरावती जिले के कुल 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अब तक 4 ही ऐसी महिला नेत्रियां हैं, जो चुनाव मैदान में जीत का स्वाद चख चुकी हैंं। स्वतंत्र महाराष्ट्र राज्य की स्थापना के बाद 1972 से अब तक हुए विधानसभा चुनावों में अमरावती जिले से कोकिला गावंडे, वसुधाताई देशमुख, सुलभा खोड़के तथा एड. यशोमति ठाकुर विधायक पद पर आसीन हो चुकी हैं। इनमें से वसुधा देशमुख और तिवसा की वर्तमान विधायक एड. यशोमति ठाकुर ने मंत्री पद हासिल कर जिले का प्रतिनिधित्व भी किया है।
कोकिला गावंडे थीं जिले की पहली महिला विधायक
1972 से अब तक हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो धामणगांव रेलवे, मेलघाट, मोर्शी यह तीन विस निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कभी किसी भी पार्टी की महिला उम्मीदवार विधायक नहीं बन पाई। वर्ष 1972 में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की सबसे पहली महिला विधायक के तौर पर दर्यापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कोकिला गावंडे ने जीत हासिल की। उन्हें 50 हजार 10 वोट मिले थे। उस समय जिले में किसान संगठन से जुड़कर कोकिला गावंडे ने किसानहित में अनेक आंदोलन किए। वे जिले में किसानों के लिए जूझने वाली नेता के रूप में उभरकर सामने आई थीं।
जिले से मंत्री बनने वाली पहली महिला विधायक थीं वसुधाताई देशमुख
उसके बाद 1999 में हुए विधानसभा चुनाव में अचलपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की महिला उम्मीदवार वसुधाताई देशमुख ने भाजपा के तत्कालीन विधायक एवं राज्य के निवर्तमान मंत्री विनायक कोरडे को पराजित किया था, जिसके बाद राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने वसुधाताई देशमुख को मंत्री पद बहाल किया था।
एड. यशोमति ठाकुर को भी मिला मंत्री पद
कांग्रेस की एड. यशोमति ठाकुर ने भी तिवसा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री पद भी विभूषित किया। यशोमति ठाकुर 2019 में पहली बार 76 हजार 218 वोट लेकर तिवसा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुई थीं। परिसीमन के बाद पुराने वलगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को तोड़कर नये सिरे से तिवसा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया था, जहां से पहली विधायक बनने का मौका एड. यशोमति ठाकुर को ही मिला।
शिवसेना के गढ़ में पूर्व राज्यमंत्री को पराजित किया था सुलभा खोड़के ने
शिवसेना के गढ़ में पूर्व राज्यमंत्री को पराजित किया था सुलभा खोड़के ने
वर्ष 2004 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बडनेरा विधानसभा क्षेत्र से सुलभा खोडके को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा था। उस समय बडनेरा विधानसभा यह शिवसेना का गढ़ माना जाता था और शिवसेना के ज्ञानेश्वर धाने पाटील लगातार दो बार यहां से चुनाव जीत चुके थे। 2004 में सुलभा खोडके ने शिवसेना के धाने पाटील को 54 हजार 995 वोटों से पराजित कर विजयश्री हासिल की थी, लेकिन पांच साल बाद हुए चुनाव में बडनेरा विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार रवि राणा ने उन्हें पराजित कर दिया। लगातार दो बार बडनेरा से चुनाव हारने के बाद सुलभा खोडके ने कांग्रेस का दामन थामा और वर्ष 2019 में कांग्रेस की टिकट पर बडनेरा की बजाय अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरीं। इसमें उन्होंने पूर्व राज्यमंत्री तथा भाजपा प्रत्याशी डॉ.सुनील देशमुख को 82 हजार 582 वोटों से पराजित किया।