मध्य प्रदेश: मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग की अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही
गुना के जिला शिक्षा अधिकारी चन्द्रशेखर सिसोदिया के विरुद्ध के तीन मामलों में 75000 का लगाया जुर्माना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। अधीनस्थ अधिकारी के विरुद्ध की जा रही विभागीय कार्रवाई की जानकारी जानबूझकर आरटीआई में नहीं देना जिला शिक्षा अधिकारी को भारी पड़ गया। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने गुना के जिला शिक्षा अधिकारी चन्द्रशेखर सिसोदिया के विरुद्ध के तीन मामलों में कुल 75000 का जुर्माना और एक मामले में उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए है। शिक्षा विभाग में किसी भी एक अधिकारी के विरुद्ध इतने बड़े जुर्माने की यह अब तक की राज्य सूचना आयोग की सबसे बड़ी कार्रवाई हैं।
दरअसल आवेदक गोपाल मिश्रा ने अपनी पत्नी सीमा शर्मा जन शिक्षा केंद्र की प्रभारी गुना के विरुद्ध की गई विभागीय कार्रवाई से संबंधित दस्तावेज लेने के लिए चार अलग अलग आरटीआई दायर की गई थी। साथ ही गोपाल ने सीमा शर्मा की ओर से सहमति पत्र भी दिया था कि उनसे संबंधित जानकारी आरटीआई में देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। शालाओं की मॉनिटरिंग में हुई लापरवाही के लिए सीमा शर्मा सहित कुल 24 अधिकारियों के विरुद्ध 2019 में विभागीय कार्रवाई के लिए कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था। सीमा शर्मा का कहना था कि बाकी 23 के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई सिर्फ उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई। इसलिए उन्होंने अपने और अन्य 23 लोगों को जारी कारण बताओं नोटिस की कार्रवाई की जानकारी आरटीआई में मांगी साथ ही उन्होंने जो शालाएं आवंटित की गई थी उसकी सूची भी मांगी। क्योंकि इन्हीं आवंटित शालाओं में लापरवाही के लिए इन अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की गई थी।
अधिकारी ने तीसरे पक्ष कर आधार बना कर रोकी जानकारी
इन सभी आरटीआई आवेदनों पर जिला शिक्षा केंद्र के प्रभारी रहे चन्द्रशेखर सिसोदिया ने सीमा शर्मा को सिर्फ उनके विरुद्ध जारी कारण बताओं नोटिस की कॉपी दी। लेकिन उनके विरुद्ध ऑफिस में की गई कार्रवाई की जानकारी नहीं दी। वही शालाओं के आवंटन की सूची से लेकर बाकी सारी जानकारी उन्होंने रोक दी। सिसोदिया ने तृतीय पक्ष की जानकारी को आधार बनाया कि ये तीसरे पक्ष की व्यक्तिगत जानकारी है इसलिए नहीं दिया सकती है।
राहुल सिंह ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि आरटीआई आवेदन में जो जानकारी मांगी गई थी वह सीधे तौर पर आरटीआईआवेदक से जुड़ी हुई थी इसमें तीसरे पक्ष का आधार नहीं बनता है।