मध्यप्रदेश: 'अयोध्या की तरह चित्रकूट का भी होगा विकास', अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला महोत्सव के समापन समारोह में सीएम मोहन यादव का बड़ा ऐलान

  • मुख्यमंत्री ने किया अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला महोत्सव का समापन
  • अयोध्या की तरह चित्रकूट को विकसित करने का किया ऐलान
  • सभी त्यौहारों को धूमधाम से मनाने का निर्णय

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-26 19:50 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अयोध्या में 500 वर्ष के अंतराल के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। तब से पूरे देश में सनातन संस्कृति की धारा बह रही है। चित्रकूट के कण-कण में भगवान राम की महिमा व्याप्त है। अयोध्या की तरह तीर्थ स्थल चित्रकूट का भी विकास किया जायेगा। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकार दोनों मिलकर चित्रकूट के विकास में कोई कसर नहीं छोडेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को सतना जिले के चित्रकूट में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित श्री रामकथा के विविध प्रसंगों पर आधारित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर संस्कृति पर्यटन एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री लखन पटेल, सांसद गणेश सिंह, विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार, मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी सीमा यादव, अभय महाजन भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीराम के चरित्र प्रसंगों को समेटे चित्रकूट का यह क्षेत्र अलग-अलग स्वरूपों के साथ मनोरम है। चित्रकूट की धरती पर भगवान श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाये, जिन्होंने एक आज्ञाकारी पुत्र और भाई से भाई के प्रेम का प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम के जीवन के हर चरित्र और प्रसंग हमें जीवन मूल्यों के शिक्षा और प्रेरणा देते हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राम की लीला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मलेषिया, इंडोनेशिया, थाइलैंण्ड, कम्बोडिया में भी प्रेरणा के रूप में पहुंचाने वाले हमारे कलाकार हैं। उन्होंने कहा कि चित्रकूट में अंतर्राष्ट्रीय रामलीला में प्रस्तुतियां देने वाले ये सभी कलाकार महाकाल की नगर उज्जैन से आते हैं। मध्यप्रदेश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीराम के तीर्थ चित्रकूट को सबसे अच्छा बनाना सरकार का संकल्प है। उन्होंने कहा कि भौतिक संरचना के साथ समाज में बदलाव लाने की संकल्पना भी होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी त्यौहारों को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया है। पुरूषार्थ और पराक्रम के प्रतीक दशहरा के दिन सभी स्थानों पर शस्त्र पूजन किया गया है। दीपावली के अवसर पर श्रीराम के प्रसंगों पर आधारित रामलीला महोत्सव में शामिल होने आनंद लेने वे स्वयं श्रीराम के धाम चित्रकूट आये हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार ने दीवाली के अवसर पर गोवर्धन पूजा का पर्व मंत्रिमण्डल के सहयोगी और जनप्रतिनिधियों के साथ मनाये जाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव कहा कि वर्तमान में देश की तुलना में मध्यप्रदेश की दुग्ध उत्पादन क्षमता 9 प्रतिशत है। इसे हम अगले 2 सालों में 20 प्रतिशत तक ले जायेंगे। पशुपालन को प्रोत्साहन देने किसानों की तरह पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन पर बोनस दिया जायेगा। गौमाता पालने को प्रोत्साहन भी दिया जायेगा और घर-घर में गोवर्धन पूजा भी की जायेगी। बडी गौशालाओं को मध्यप्रदेश सरकार वित्तीय मदद करेगी।

संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री लोधी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में सभी धार्मिक कार्य सपत्नीक किये जाते हैं और चित्रकूट की पुण्य भूमि में मुख्यमंत्री डॉ. यादव अंतर्राष्ट्रीय रामलीला के कार्यक्रम में सपत्नीक शामिल हुए हैं। यह अत्यंत गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि राम इस देश के कण-कण में समायें हैं। राम इस देश के चरित्र, जीवन मूल्य में समाहित हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मंशा के अनुरूप चित्रकूट में अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव का मंचन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश को सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा के उन्नत शिखर पर स्थापित करने का कार्य सरकार कर रही है। श्रीराम वन गमन पथ के मार्गों को चिन्हित कर 23 स्थलों को विकसित और पल्लवित करने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव सपत्नीक रामलीला की आरती में शामिल हुए और राघव प्रयाग घाट से रामघाट तक मां मंदाकिनी में नौका विहार किया।

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों की लीला प्रस्तुतियों पर एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन श्रीराघव प्रयाग घाट, नयागाँव चित्रकूट में किया गया। समारोह में लीला मण्डल रंगरेज कला संस्थान, उज्जैन के कलाकारों ने श्रीरामकथा के प्रसंगों की प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर “श्रीरामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। समारोह के अंतिम दिन सेतुबंध, रामेश्वरम स्थापना, रावण-अंगद संवाद, कुंभकरण, मेघनाथ एवं रावण मरण, श्री राम राज्याभिषेक प्रसंगों को मंचित किए गए। इसके पूर्व रीवा की लोक गायिका कल्याणी मिश्रा और साथी कलाकारों ने बघेली लोक गीतों के माध्यम से प्रभु श्रीराम और माता सीता के जीवन और आदर्शों का वर्णन किया गया।

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