छत्तीसगढ़: लैंगिक व विधि विरूद्ध बालकों की जानकारी प्रसारित नहीं करने के निर्देश

  • माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उक्त संबंध में निर्देशित भी किया गया है।
  • 2015 की धारा 74 में स्पष्ट रूप से प्रावधानित किया गया है
  • बालक की पहचान स्थापित हो, उजागर नही करना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-28 10:38 GMT

डिजिटल डेस्क,बलरामपुर। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने जानकारी दी है कि लैंगिक अपराधों से पीड़ित एवं विधिविरूद्ध संघर्षरत बालकों को उपहास, सामाजिक बहिष्कार एवं शोषण से संरक्षित रखने के उद्देश्य से उनका नाम, पता, फोटोचित्र, परिवार के ब्यौरे, विद्यालय, पडोस या किन्हीं अन्य विशिष्टियों को किसी मीडिया रिपोर्ट, समाचार पत्र, पत्रिका, दृश्य-श्रव्य माध्यम या संचार के किसी अन्य रूप, जिससे बालक की पहचान स्थापित हो, उजागर नही करना चाहिए।

इस संबंध में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 228(ए), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 23 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरखे एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 में स्पष्ट रूप से प्रावधानित किया गया है तथा यह एक दण्डनीय अपराध है।

इसी प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उक्त संबंध में निर्देशित भी किया गया है।

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