राष्ट्रगान के वक्त जो महसूस कर रहा था उसे शब्द में बयां नहीं कर सकता- नीरज चोपड़ा
Exclusive राष्ट्रगान के वक्त जो महसूस कर रहा था उसे शब्द में बयां नहीं कर सकता- नीरज चोपड़ा
- भारत के एथलीट नीरज चोपड़ा ने IANS के साथ की Exclusive बातचीत
- राष्ट्रगान के वक्त जो महसूस कर रहा था उसे शब्द में बयां नहीं कर सकता- नीरज चोपड़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज से एक सप्ताह पहले जैवलिन थ्रो में भारत के एथलीट नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर का थ्रो कर टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। अभिन्व बिद्रा के बाद नीरज दूसरे एथलीट बने जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से स्वर्ण पदक जीता। हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले 4 राजपूताना राइफ्लस के सुबेदार नीरज चोपड़ा ने IANS के साथ की Exclusive बातचीत। पढ़ें पूरा इंटरव्यू...
सवाल: आप ओलंपिक में एथलेटिक्स में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय हैं। आपको क्या लगता है कि इससे भारत में खेल को कितना फायदा होगा?
जवाब: ओलंपिक में ट्रैक और फील्ड स्वर्ण जीतने वाला पहला भारतीय होना वाकई बहुत अच्छा है। बहुत अच्छी शुरूआत है। जब पदक समारोह के दौरान हमारा राष्ट्रगान बजाया जा रहा था उस वक्त मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पा रहा था। मुझे भारत में एथलेटिक्स का भविष्य उज्जवल दिख रहा है।
सवाल: क्या आप हमें फाइनल के दौरान आप पर दबाव के बारे में संक्षेप में बता सकते हैं? आप काफी शांत दिख रहे थे ?
जवाब: क्वालीफाइंग थ्रो ने फाइनल के लिए गति निर्धारित की। यह आसान था और उसके बाद मुझे कोई थकान महसूस नहीं हुई, इसलिए इसने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। लेकिन मैंने शांत और केंद्रित रहने की कोशिश की और इसलिए मैं फाइनल में अच्छा प्रदर्शन कर सका।
सवाल: आप अपने प्रतिद्वंद्वी जोहान्स वेटर के प्रदर्शन के बारे में क्या सोचते हैं? उनका सर्वश्रेष्ठ 97.76 मीटर है, लेकिन फाइनल में वे केवल 82.52 तक ही सीमित रहे ?
जवाब: भाला फेंक में, भाग्य सबसे बड़ा है और मुझे लगता है कि यह वेटर का दिन नहीं था। वह अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर नहीं थे और ट्रैक पर उन्हें कुछ परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक अच्छे थ्रोअर नहीं है। वह अभी भी विश्व में नंबर-1 है और नियमित रूप से 90 मीटर से आगे फेंक सकते हैं। वह विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के बहुत करीब आ गए हैं इसलिए मुझे लगता है कि वह अभी भी मुझसे बेहतर थ्रोअर है। बस यह कि टोक्यो में उनका दिन नहीं था।
सवाल: आप अपनी उपलब्धि के लिए किसे धन्यवाद देना चाहेंगे ?
जवाब: मैं पूरे देश में सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं साई, एएफआई और जेएसडब्ल्यू का उनके लगातार समर्थन के लिए आभारी हूं।