ऐसे बनाया करियर: बीड़ जिले का वो चेहरा जो पेरिस ओलंपिक 2024 में करेगा देश का नाम रौशन - उम्मींद में पता
- 6 किलोमीटर दौड़कर जाते थे स्कूल
- वहीं से अविनाश को मिला शानदार करियर
- सैनिक और खिलाड़ी अविनाश साबले, इंडियन आर्मी ने बनाया एथलीट
डिजिटल डेस्क, बीड. सुनील चौरे। खेत में कड़ी मेहनत मजदूरी कर पिता मुकुंद साबले ने बेटे की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी, आज जब बेटा बड़ा हो गया, और पढ़लिखकर नामी खिलाड़ी बन गया, तो मानो उन सैंकड़ो उनींदी रातों और मशक्कत भरे दिनों की असल कीमत वसूल हो गई, एक पिता के लिए इससे बढ़ा तोहफा और क्या हो सकता है कि उसका होनहार बेटा पिछले खेलों में अपना जलवा दिखा चुका है। अब फिर देश का नाम रौशन करने के लिए जमकर पसीना बहा रहा है। इस दमदार खिलाड़ी का नाम अविनाश साबले है। जिन्हें लेकर पिता को फिर बड़ी उम्मीदें हैं।
सैनिक और खिलाड़ी अविनाश साबले का जन्म 13 सितंबर 1993 को आष्टी तहसील के मांडवा में हुआ था। मां और पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया लिखाया, दिन रात एक कर दिए। जैसे-जैसे अविनाश बढ़े हुए, वह समझ गए कि माता-पिता ने कड़ी मेहनत कर परवरिश की है, मौका है अब उनके सपनों को पंख लगें। अविनाश ने खेल मैदान में कड़ी मेहनत कर हर मुश्किल को चुनौती दी। उन्होंने अलग करियर बनाने का लक्ष्य रखा था।
बचपन में अपने स्कूल जाने के लिए हर दिन छह किलोमीटर दौड़ना पड़ता था। बस यहीं से अविनाश को शानदार करियर मिल गया। अविनाश, पेरिस में होने जा रही ओलंपिक प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनके पिता मुकुंद साबले ने विश्वास जताया है कि वह इस बार फिर पदक जीतकर देश का नाम रोशन करेंगे। साल 2015 से रनिंग में अविनाश साबले ने कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े हैं। एशियन गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।
इंडियन आर्मी ने अविनाश को बनाया एथलीट
अविनाश साबले 12वीं कक्षा पास करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए थे, 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा बने। सियाचिन, राजस्थान और सिक्किम में तैनात रहे। इसके बाद सेना के एथलेटिक्स कार्यक्रम में शामिल हुए तो उन्हें क्रॉस कंट्री प्रतियोगिताओं के लिए चुना गया। उन्हें भारतीय एथलीट ने सिर्फ एक साल की ट्रेनिंग दी थी। फिर सर्विसेज़ टीम में शामिल हुए और उनकी टीम ने टीम प्रतियोगिता जीती और वह व्यक्तिगत राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप में पांचवें स्थान पर रहे।
बीच में एक वक्त ऐसा भी आया जब अविनाश को चोट लगी थी, ट्रेनिंग की कमी के कारण उनका वजन भी बढ़ गया था। जिससे कुछ लोगों ने उनका करियर ख़त्म समझ लिया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 15 किलो से अधिक वजन कम किया। 2017 में फिर शुरुआत की।
टोक्यो 2020 ओलंपिक तक का सफर
साबले ने 2019 में पटियाला में फेडरेशन कप दौड़ में जौहर दिखाया। दूसरी बार नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 8:28.94 का समय निकाला, जो उनके पिछले रिकॉर्ड से लगभग एक सेकेंड तेज था। IAAF विश्व चैंपियनशिप का टिकट हासिल किया और 1991 में दीना राम के बाद विश्व चैंपियनशिप में दौड़ने वाले पहले भारतीय पुरुष स्टीपलचेज़र बन गए।
दोहा में आयोजित 2019 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी अविनाश साबले ने रजत पदक जीता था। अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह उनका पहला जलवा था। यहीं से अविनाश भारतीय एथलेटिक्स के नए स्टार बन गए। यहां उन्होंने दो बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। 2020 में टोक्यो के लिए क्वालीफाई किया। इसके साथ ओलंपिक में स्टीपलचेज स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय बन गए।