पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर सचिन नई पार्टी का करेंगे एलान! पायलट की हर मूवमेंट पर टिकी नजर
- सचिन पायलट अपनी नई पार्टी का करेंगे एलान!
- पिता की पुण्यतिथि पर पायलट ने लिखा भावुक पोस्ट
- सचिन का कांग्रेस से 'मोह भंग'!
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में आज भूचाल आ सकता है। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आज कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। कई दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी कि 11 जून को सचिन पायलट अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतीथि पर नई पार्टी बनाने का एलान कर सकते हैं। इन सबके बीच सचिन पायलट अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए जयपुर से दौसा पहुंचे हैं। जहां पर उन्होंने अपने दिवंगत पिता राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी प्रतिमा का अनावरण भी किया।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अपने पिता के बारे में कहा, "राजेश पायलट जी ने अपने जीवन में फौज की नौकरी की, लड़ाकू विमान चलाए पाकिस्तान के दांत खट्टे किए और राजनीति में भी अपनी बात को मुस्तैदी से रखा। उसी प्रकार की राजनीति की आज देश को जरूरत है, बेबाकी से बोलना, सच्चाई ईमानदारी का समर्थन करना विपरित परिस्थितियों में भी समझौता ना करना।" पायलट ने बीजेपी नेता और पूव सीएम वसुंधरा राजे को आड़े हाथों लेते हुए आगे कहा, "मैंने हमारी पूर्व मुख्यमंत्री (वसुंधरा राजे) का विरोध साल के 365 दिन किया लेकिन कभी मेरे मुंह से कोई छोटी बात या अपशब्द नहीं निकला। वे मेरे से उम्र में बड़ी हैं लेकिन आज भी मैं कहता हूं आपने खान आवंटित कर दी चोरी पकड़ी तो रद्द कर दी लेकिन आवंटन तो किया था ना।"
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 11, 2023
पायलट ने पिता के लिए भावुक पोस्ट लिखा
पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथी पर सचिन पायलट ने एक भावुक पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा, "मेरे पूज्य पिताजी स्व. श्री राजेश पायलट जी की पुण्यतिथि पर उन्हें हृदय से नमन करता हूं। अपनी कर्मभूमि से उनका जुड़ाव, जनता से अपनेपन का रिश्ता एवं जनकल्याण के प्रति उनकी समर्पित कार्यशैली मेरे लिए मार्गदर्शक हैं।" सचिन आगे लिखते हैं "उन्होंने जनहित को सर्वोपरि मानकर कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनके विचारों और आदर्शों का मैं सदैव अनुसरण करता रहूंगा।"
क्या करेंगे पायलट?
जानकारी के मुताबिक, सचिन पायलट अपने सियासी सफर को लेकर काफी चिंतित है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अगर आज सचिन पायलट किसी तरह की कोई घोषणा नहीं करते हैं तो समझा जा सकता है कि उनकी अपनी नई पार्टी बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, सियासत के जानकार कहते हैं कि, शायद सचिन को पता है कि नई पार्टी का गठन करना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन उसे 'जीवित' रखना यह अहम हो जाता है। क्योंकि प्रदेश में दो प्रमुख पार्टियों के बीच हमेशा से ही मुकाबला रहा है तीसरे की कभी कोई गुंजाइश नहीं रही हैं। जानकार यह भी मानते हैं कि, सियासत हर क्षण नया करवट लेता है आगे पायलट की रणनीति क्या होगी इस बात का पता भविष्य में ही चल पाएगा।
'कुर्सी' का किस्सा
दरअसल, बीते चार वर्षों से सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत में 'सीएम की कुर्सी' के लिए खींचतान मची हुई है। कई मौके पर दोनों नेता एक दूसरे पर निशाना साध चुके हैं। इसके अलावा सीएम गहलोत ने तो पायलट को नकारा, निकम्मा तक के शब्दों से संबोधित कर दिया है। हाल ही में सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन के लिए अनशन पर बैठे हुए थे। इसके अलावा सचिन ने चार दिनों तक अजमेर से जयपुर तक 'जन संघर्ष यात्रा' निकाली थी। यह कहकर की गहलोत सरकार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है, जिसके दम पर वो सरकार में आई थी। इन दोनों नेताओं के बीच की तल्खी को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने हाल ही में दिल्ली में एक अहम बैठक में बुलाई थी। जिसमें गहलोत और पायलट भी शामिल हुए थे ताकि दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच के विवाद को सुलझाया जा सके। लेकिन अब तक उसका कुछ खास असर नहीं दिख पाया है।