कब खत्म होगी कांग्रेस नेताओं के बीच बनी तीखी बयानबाजी? आलाकमान की चुप्पी पर उठने लगे सवाल

राजस्थान कब खत्म होगी कांग्रेस नेताओं के बीच बनी तीखी बयानबाजी? आलाकमान की चुप्पी पर उठने लगे सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-22 09:30 GMT
कब खत्म होगी कांग्रेस नेताओं के बीच बनी तीखी बयानबाजी? आलाकमान की चुप्पी पर उठने लगे सवाल

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर नेताओं के बीच बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच एक दूसरे पर इशारों इशारों में तीखे हमले किए जा रहे है। राजस्थान में मौजूदा समय में कांग्रेस की सरकार है। पांच दिन से पायलट और गहलोत के बीच चल रही जुबानी जंग पर कांग्रेस नेता सांसद शशि थरूर ने नसीहत दी है। उन्होंने दोनों नेताओं को सोच समझकर बोलने की हिदायत दी है।  आपको बता दें सीएम गहलोत ने पायलट को कई मौकों पर निकम्मा, नाकारा, गद्दार और कोरोना जैसे शब्दों का यूज किया है।

दोनों नेताओं के बीच छिड़ी बयानबाजी पर बीजेपी ने भी हमला करना शुरू कर दिया है। जिससे सियासी सरगर्मियां और तेज हो गई हैं। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में चर्चा, बैठकों और बयानों का दौर चालू हो गया है।

कांग्रेस में दोनों सुपर नेताओं की बयानबाजी से पार्टी के भीतर आतंरिक कलह बनी हुई है। मुख्यमंत्री गहलोत ने एक कार्यक्रम में सचिन पायलट की तुलना "कोरोना" से कर दी थी। जिसके बाद सचिन पायलट ने जवाब देते हुए कहा था कि किसी पर निजी टिप्पणी नहीं करना चाहिए। इससे पहले पायलट ने पेपर लीक मामले को लेकर गहलोत सरकार पर सवाल उठाया था। तब से दोनों नेताओं के बीच पार्टी मंच से तीखे हमले किए जा रहे हैं।

दरअसल, इस साल ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसकी तैयारियां कांग्रेस पार्टी पूरी जोरशोर से करती हुई दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वहीं प्रदेश आलाकमान के द्वारा दिए गए निर्देश को सचिन पायलट गंभीरता से न लेते हुए पार्टी की बैठकों से दूरी बना रहे हैं।  

बीजेपी छोड़ अपनी ही पार्टी पर हैं हमलावर 

गौरतलब है कि, सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस के लिए मुसीबत बन कर उभरते जा रहे हैं। राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर किसान सम्मेलन रैली को संबोधित कर रहे हैं। जहां वह भाजपा छोड़ अपने ही सरकार पर हमलावार नजर आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि सचिन पायलट की गुर्जरों में अच्छी खासी पकड़ है। पार्टी आलाकमान इनकी तमाम गतिविधियों पर पैनी नजर बना कर रखी हुई है। सीएम गहलोत पर हमला करने की वजह से पार्टी हाई कमान पायलट को कोई तवज्जों देने के मूड में अभी तो नहीं दिख रहा है। सचिन पायलट पार्टी की किसी भी मीटिंग में मौजूद नहीं रह रहे है।  राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पायलट पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि राजस्थान की भाग दौड़ उनके हाथों में आ जाए। वहीं सचिन पायलट रैली को शाक्ति प्रदर्शन के रूप में दिखाना चाह रहे हैं। 

भारत जोड़ों यात्रा के बाद पार्टी संगठन के काम में आई तेजी 

सचिन पायलट की रैली से प्रदेश कांग्रेस ने पहले ही दूरी बना चुकी है। गहलोत समर्थक विधायकों और मंत्रियों ने पहले ही कह दिया है कि सीएम के नेतृत्व में ही राजस्थान का चुनाव लड़ा जाएगा। अशोक गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दम पर ही आगामी विधानसभा चुनाव जीतेंगे। बता दें कि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पार्टी नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वह अलग-अलग इलाकों में जाकर सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करें। ताकि योजना से लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

पिछले साल ही राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ों यात्रा राजस्थान से गुजरी थी। जिसके बाद से पार्टी संगठन में काफी तेजी से काम चल रहा है। पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश प्रभारी सुनखजिंदर सिंह रंधावा ने जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक संगठन को मजबूत बनाने के लिए खाली पड़े पदों को भरना शुरू कर दिया है।   

हाईकमान की मजबूरी

दरअसल, पार्टी हाईकमान अशोक गहलोत को सीएम पद से हटाना नहीं चाहता। जिसका जीता जगता सबूत पंजाब की अमरिंदर सरकार है। जहां पर कांग्रेस हाईकमान ने उनकों मुख्यमंत्री पद से हटा कर सीएम चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बना दिया था। जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में क्या हालत हुई उसके नतीजे सबसे सामने है।  उसी का ख्याल रखते हुए कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट पर ज्यादा फोकस न करते हुए पार्टी के कद्दावर नेता अशोक गहलोत पर ही एक बार फिर विश्वास जता रही है और उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव कराने के मूड़ में है। 

आपको बता दें सीएम अशोक गहलोत की तकरार सचिन पायलट के साथ खुले तौर पर साल 2020 में सामने आई थी। जब पायलट ने कुछ विधायकों के साथ मिलकर गहलोत की सरकार गिराने की भरपूर कोशिश की थी। हालांकि, पार्टी हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद गहलोत सरकार गिरने से बच गई थी। लेकिन दोनों नेताओं में तब से समन्वय नहीं बन पाया है। 

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