ममता का 21 जुलाई का भाषण सात अन्य राज्यों में भी दिखाएगी तृणमूल
पश्चिम बंगाल सियासत ममता का 21 जुलाई का भाषण सात अन्य राज्यों में भी दिखाएगी तृणमूल
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 21 जुलाई को यहां अपने शहीद दिवस भाषण में 2024 के लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि के खिलाफ अपनी तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय योजनाओं को उजागर करने के लिए तैयार हैं। पार्टी ने उनके भाषण को अन्य सात राज्यों की राजधानियों में भी बड़े पर्दे पर प्रसारित करने की योजना तैयार की है।
पिछले दो वर्षों से, तृणमूल ने वर्चुअली कोविड -19 महामारी के कारण शहीद दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया और पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में इसका वर्चुअली प्रसारण किया। हालांकि, इस साल, यह अपने पारंपरिक रूप में आयोजित किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी मध्य कोलकाता में पारंपरिक स्थल से सभा को संबोधित करेंगे।
वहीं, राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उनके भाषणों का सात अन्य राज्यों की राजधानियों में विशाल स्क्रीनों पर प्रसारण किया जाएगा। अब तक इसे असम, मेघालय, त्रिपुरा, गोवा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी प्रसारित करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है। एक-दो दिन में सातवें राज्य को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
तृणमूल प्रदेश महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष के अनुसार, धीरे-धीरे लेकिन लगातार, पार्टी अन्य भारतीय राज्यों में अपना आधार बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, मेघालय में हम वर्तमान में प्रमुख विपक्षी दल हैं। इसलिए, हमारे बढ़ते राष्ट्रीय आधार को ध्यान में रखते हुए, हमने ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के भाषणों को पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्यों में विशाल स्क्रीन पर प्रसारित करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के सभी जिला मुख्यालयों में मुख्यमंत्री के भाषण का एक समान विशाल स्क्रीन पर टेलीकास्ट किया जाएगा।
2011 के बाद से, जब तृणमूल कांग्रेस 34 साल के वाम मोर्चे के शासन को समाप्त करते हुए पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई, तो प्रत्येक शहीद दिवस कार्यक्रम में नियमित विशेषता अन्य दलों के नेताओं के शामिल होने की थी। पिछले दो वर्षों में ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किया गया था। राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस साल भाजपा के कुछ दिग्गज नेता तृणमूल में शामिल होंगे। हालांकि इस मुद्दे पर तृणमूल नेतृत्व पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है।
(आईएएनएस)
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