जिस बॉटल को आप पानी पी कर फेंक देते हैं उससे बनी है पीएम मोदी की ये जैकेट, इतनी लंबी है जैकेट बनाने की प्रोसेस, पर्यावरण बचाने की ये है नई मुहिम

मोदी की खास जैकेट जिस बॉटल को आप पानी पी कर फेंक देते हैं उससे बनी है पीएम मोदी की ये जैकेट, इतनी लंबी है जैकेट बनाने की प्रोसेस, पर्यावरण बचाने की ये है नई मुहिम

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-08 10:23 GMT
जिस बॉटल को आप पानी पी कर फेंक देते हैं उससे बनी है पीएम मोदी की ये जैकेट, इतनी लंबी है जैकेट बनाने की प्रोसेस, पर्यावरण बचाने की ये है नई मुहिम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। आज वह अपने बयानों और भाषणों की वजह से चर्चा में नहीं बल्कि एक खास तरह के जैकेट की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं। हर तरफ इनके जैकेट की ही चर्चा हो रही है और पीएम मोदी का यह जैकेट देशवासियों को एक संदेश देने में कामयाब रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र के दौरान प्लास्टिक की बोतल से बने जैकेट को पहने हुए नजर आए। इस जैकेट को यूज्ड बोटलों को रिसाइकल करके तैयार किया गया है। पीएम के इस जैकेट को बनाने में करीब 28 सिंगल यूज प्लास्टिक बोटलों का उपयोग किया गया है।

गिफ्ट में मिला था जैकेट

बता दें कि, सोमवार को पीएम मोदी इंडिया एनर्जी वीक कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहां पर उनको इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने ये जैकेट गिफ्ट के तौर पर दी थी। जिसके बाद से ही यह नीले रंग की जैकेट चर्चा का विषय बनी हुई है। तभी से तमाम लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि पीएम के इस जैकेट को कैसे तैयार किया गया होगा, इसकी कार्य विधी क्या होती होगी। इन सभी प्रश्नों के जवाब के लिए आइए जानते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल से इसे कैसे तैयार किया गया।
 
प्लास्टिक के बॉटल से केवल ये जैकेट ही नहीं बल्कि टी-शर्ट, पैंट, शर्ट आदि वस्तुओं का निर्माण भी किया जा रहा है। लैंडफिल के लिए पीईटी बॉटल के रिसाइकल के लिए ये प्रकियाएं को अपनाई जाती हैं। तब जाकर पर्यावरण मुक्त कपड़ों का उत्पादन हो पाता है। 
  
कैसे हुआ जैकेट का निर्माण

  • सबसे पहले सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल को एकत्रित करके सुखा लिया जाता है।
  • सुखाने के बाद उस बॉटल को छोटे-छोटे पार्ट में काट लिया जाता है।
  • इस काटे गए पार्ट को एक निश्चित तापमान पर गर्म कर लिया जाता है। जिससे बॉटल पिघल जाती है।
  • इसके बाद बॉटल के पिघले हुए द्रव्य पदार्थ को धागे का स्वरूप देने के लिए स्पिनरनेट नामक प्लेट का उपयोग किया जाता है।
  • इस यार्न को स्पूल में डाल दिया जाता है।
  • फिर उसे धागे के रूप में हासिल करने के लिए उसे क्रिंपिंग मशीन में प्रोसेस किया जाता है।
  • एक बार धागा तैयार हो जाता है तो उसे अलग अलग रंग से रंगा जाता है।
  • जिस कलर का कपड़ा चाहिए होता है उस रंग के फाइबर से वीविंग शुरू की जाती है। 
  • जिसके बाद पूरी तरह से कपड़े का निर्माण होता है।

तमिलनाडु की कंपनी ने बनाई जैकेट

अलग-अलग कपड़ों के लिए बॉटलों की संख्या अलग-अलग होती है। टी-शर्ट बनाने के लिए करीब 6 सिंगल यूज बॉटल की जरूरत पड़ती हैं। पीएम मोदी के इस जैकेट को तमिलनाडु की कंपनी श्री रेंगा पॉलीमर्स ने तैयार किया है। इस कंपनी ने इंडियन ऑयल को पीईटी बॉटल से बने 9 अलग-अलग रंगों के कपड़े भेजे थे। कपड़े के रंग को फाइनल करने के बाद इस जैकेट को पीएम मोदी के टेलर के पास भेजा गया था। जिसके बाद इस जैकेट को तैयार किया गया है।

प्रति वर्ष 10 करोड़ बॉटल होंगी रिसाइकल

बता दें कि, आईओसी द्वारा हर साल करीब 10 करोड़ बोटलों को रिसाइकल किया जाएगा। रिसाइकल बोटलों से ही सशस्त्र बलों के लिए वर्दी भी तैयार करने की भी प्लानिंग है। यह पर्यावरण के क्षेत्र में एक नया क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। पीएम मोदी के इस जैकेट को पहन कर सदन पहुंचने के बाद आईओसी ने ट्वीट भी किया है।


 

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