पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरा हरिशंकर तिवारी का परिवार सपा में हो सकता है शामिल, बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किलें!

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरा हरिशंकर तिवारी का परिवार सपा में हो सकता है शामिल, बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किलें!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-11 19:23 GMT
पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरा हरिशंकर तिवारी का परिवार सपा में हो सकता है शामिल, बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किलें!

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी दल के नेता अपनी सुरक्षित ठिकानों के जुगाड़ में लग गए हैं। जिन नेताओं को लग रहा है कि अबकी बार उनका टिकट कट सकता है तो वह अपनी जुगाड़ किसी दूसरे राजनीतिक दल में सेट कर रहे हैं। इसी कड़ी में बसपा से निकलकर अब पूर्वांचल के कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी का परिवार रविवार को सपा ज्वाइन कर सकते हैं। यूपी की राजनीति में हलचल मच गई है। गौरतलब है कि हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण चेहरा माने जाते है। अब जब इनका परिवार सपा में शामिल हो रहा फिर पूर्वांचल की सीटों पर समीकरण बदल सकता है। इससे साफतौर पर बीजेपी की टेंशन बढ़ेगी। खासबात यह कि हरिशंकर तिवारी की वजह से बीजेपी की बाह्मण राजनीति के लिए चिंता बढ़ा सकती है।

मायावती ने दिखाया था बाहर का रास्ता

आपको बता दें कि बीते दिन मायावती ने सपा में जाने की संभावनाओं के बीच बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी परिवार को बसपा पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया  था। दरअसल, हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी, बड़े बेटे व पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भतीजे गणेश शंकर पांडे को बसपा से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। हरिशंकर तिवारी का सियासी ठिकाना अब सपा में बनने जा रही है। जो बसपा के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी पूर्वांचल के इलाके में सियासी चुनौती खड़ी कर सकती है। 

ब्राह्मण बनाम ठाकुर

आपको बता दें कि पूर्वांचल की राजनीति में ब्राह्मण बनाम ठाकुर के बीचे वर्चस्व की जंग जगजाहिर है तो हरिशंकर तिवारी और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में तिवारी परिवार के सपा में शामिल होने से अखिलेश यादव को पूर्वांचल में बड़ा ब्राह्मण चेहरा मिल सकता है। जिसे सीएम योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी नेता के तौर पर जाना जाता है।

ब्राह्मण सियासत बढ़ाएगी बीजेपी की चिंता

बता दें कि हरिशंकर तिवारी परिवार के सपा में आने से बसपा के साथ-साथ भाजपा के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। इसे जहां बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को झटका माना जा रहा है वहीं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा के लिए भी कुछ सीटों पर मुश्किल खड़ी कर सकती है। सपा-बसपा-कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं। भाजपा का कोर वोटर माना जाने वाला यह वर्ग यदि उससे दूर जाने के साथ ही किसी एक पार्टी के साथ लामबंद होता है तो यह परेशानी का कारण बन सकता है। 

 

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