पाकिस्तान स्थित करतारपुर से आई सिद्धू के लिए बधाई, बीजेपी और अकाली दल ने सिद्धू के खिलाफ खोला मोर्चा
पाकिस्तान स्थित करतारपुर से आई सिद्धू के लिए बधाई, बीजेपी और अकाली दल ने सिद्धू के खिलाफ खोला मोर्चा
- 'करतारपुर' पर छिड़ा सियासी घमासान
डिजिटल डेस्क, अमृतसर। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर पाकिस्तान एसजीपीसी ने नवजोत सिंह सिद्धू को बधाई दी है। उनसे आग्रह भी किया है कि वह करतारपुर कॉरिडोर को खुलवाने में बड़ी भूमिका निभाएं। जिसके बाद अब बीजेपी और अकाली दल ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से लगातार सुर्खियों में हैं। और इस बार उनके सुर्खियों में रहने की वजह और कोई नहीं पाकिस्तान है। दरअसल पाकिस्तान के सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) ने नवजोत सिंह सिद्धू को बधाई दी है। पीएसजीपीसी ने सोशल मीडिया के जरिए सिद्धू को बधाई दी है और कहा है कि यह दुनियाभर के सिखों के लिए गर्व का क्षण है। इसके साथ ही पीएसजीपीसी ने उनसे करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खुलवाने में भूमिका अदा करने का आग्रह भी किया।
PSGPC extend its heartiest congratulations to Mr. NAVJOT SINGH SIDHU on becoming the congress President of Indian Punjab. This is a proud moment for Sikh Community through out the world.
— Pakistan Sikh Gurdwara Parbandhak Committee (@parbhandak) July 25, 2021
PSGPC also urges that Mr. Sidhu should play its role in reopening of Kartarpur Corridor pic.twitter.com/G53L91TPRg
बस यहीं से विवाद की शुरुआत हुई और बीजेपी, अकाली दल ने सिद्धू को आड़े हाथों लिया। बीजेपी के पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने आरोप लगाया कि सिद्धू ने खुद इस कहानी को लिखा है। उन्होनें कहा कि कॉरिडोर को खोलने का फैसला केंद्र सरकार करेगी और इसमें सिद्धू की कोई भूमिका नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है और केंद्र सरकार इस पर फैसला करेगी।
अकाली दल ने कहा- कॉरिडोर के मामले में सिद्धू की कोई भूमिका नहीं
अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पीएसजीपीसी को यह बात समझनी होगी कि यह किसी व्यक्ति विशेष का मामला नहीं है, बल्कि दो देशों के बीच का मसला है। उन्होनें कहा कि बधाई तो कोई किसी को भी दे सकता है लेकिन कॉरिडोर के मसले पर सिद्धू की पहले भी कोई भूमिका नहीं थी और न आगे हो सकती है। चीमा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द कॉरिडोर को खोलने की दिशा में काम करें।
कतारपुर कॉरीडोर और उससे जुड़ी सियासत
मान्यताओं के मुताबिक, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजारे थे।माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव का देहावसान हुआ था वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में आता है लेकिन इसकी भारत से दूरी महज साढ़े चार किलोमीटर है। अब तक कुछ श्रद्धालु दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन करते रहे हैं। ये काम बीएसएफ की निगरानी में होता है। श्रद्धालु यहां आकर दूरबीन से सीमा पार मौजूद करतापुर साहेब के दर्शन करते हैं। सिखों की करतारपुर में उतनी ही आस्था है, जितनी कि हिन्दुओं की अयोध्या में और मुसलमानों की मक्का में है। पंजाब सिख बहुल राज्य है इसीलिए पंजाब की सियासत में करतारपुर अहम रोल रखता है।