मुसलमानों के बाद अब ईसाई वोटर्स पर बीजेपी की नजर, जूनियर एंटनी के बहाने केरल के ईसाई वोटर्स को साधने की जुगाड़ में बीजेपी!
एंटनी के बहाने... मुसलमानों के बाद अब ईसाई वोटर्स पर बीजेपी की नजर, जूनियर एंटनी के बहाने केरल के ईसाई वोटर्स को साधने की जुगाड़ में बीजेपी!
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे अनिल एंटनी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं। उन्होंने कल यानी 6 अप्रैल को भाजपा के दिल्ली स्थित कार्यालय में बीजेपी के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। जिसके बाद से ही अलग-अलग पार्टियों की तरफ से रिएक्शन देखे गए थे। वहीं बेटे को भाजपा के रंग में रंगा देख कांग्रेस नेता एके एंटनी ने दुख जताया था और कांग्रेस पार्टी के लिए अपना जीवन खपा देने की बात कही थी।
अब इस पूरे मामले में एके एंटनी के छोटे बेटे अजीत एंटनी ने भाई अनिल एंटनी को जली कटी सुनाई है और भाजपा में शामिल होने को लेकर कहा है कि उन्हें बीजेपी इस्तेमाल करके कढ़ी पत्ते की तरह बाहर निकालकर फेंक देगी। बता दें कि, बीजेपी में शामिल हुए अनिल एंटनी को भाजपा अपने पाले में लाकर केरल में पिनराई विजयन की सरकार को घेरने और ईसाई समुदाय के लोगों को साधने का काम कर सकती है। लेकिन बीजेपी के लिए ये राहें इतनी आसान नहीं होने वाली है क्योंकि मौजूदा सीएम पिनराई विजयन की पैठ ईसाई लोगों में काफी मजबूत मानी जाती है।
ईसाई समुदाय पर बीजेपी की नजर
अनिल एंटनी के बीजेपी में शामिल होने के बाद ये चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि केरल में पार्टी को कितना फायेदा पहुंचाएंगे? बता दें कि, अनिल एंटनी के पिता एके एंटनी केरल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनका जनाधार वहां अच्छा खासा है। ईसाई समुदाय से आने वाले एंटनी को बीजेपी अपने पाले में लाकर प्रदेश की हवा अपनी ओर मोड़ना चाहती है। केरल में ईसाई समुदाय तीसरे नंबर पर आते हैं। प्रदेश में हिंदू की कुल आबादी साढ़े तीन करोड़ के साथ पहले नंबर पर है जबकि मुस्लिम 26.6 फीसदी और ईसाई समुदाय 18.4 फीसदी है। बीजेपी को यहां हर चुनाव में मुंह की खानी पड़ती है आलम यह है कि केरल राज्य से इस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाला लोकसभा में कोई भी सांसद नहीं है।
राहें आसान नहीं
केरल में हमेशा से ही सीएम पिनराई विजयन की पार्टी सीपीएम और कांग्रेस का दबदबा रहा है। उत्तर भारत को छोड़कर बीजेपी दक्षिण भारत में भी अपना कमल खिलाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। हालांकि, बीजेपी को पता है कि उसकी राहें इतना आसान नहीं है अगर केरल में पार्टी को मजबूत करना है तो स्थानीय नेता का होना बेहद ही जरूरी है। इसलिए अनिल एंटनी को अपने खेमें में लाई है।
अनिल ने क्यों थामा भाजपा का दामन
अनिल एंटनी की बात करें तो कांग्रेस में रहकर उन्हें अब तक किसी बड़े पद पर देखा नहीं गया है। अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए अनिल ने बीजेपी का दामन थामा है। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि, भाजपा उन्हें केरल में कोई बड़ा पद दे सकती है, जिसे वो प्रदेश बीजेपी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकें।
कढ़ी पत्ते की तरह यूज कर फेंक देगी भाजपा- अजीत एंटनी
अनिल को भाजपा में शमिल होते देख छोटे भाई अजीत एंटनी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, भाई के इस फैसले को लेकर परिवार में किसी भी सदस्य को पता नहीं था और हमें जरा भी इसे लेकर संकेत नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है। लेकिन जब हमने भाजपा कार्यालय में उन्हें देखा तो हम हैरान हो गए थे। अजीत ने कहा कि जब पापा ने यह सब देखा तो वो बहुत दुखी हुए, यह सब देख कर परिवार के लोग भी परेशान नजर आए थे। पापा ने यह परिस्थिति कैसे झेली वो ही जानते हैं, बस उन्होंने आंसू नहीं बहाए।
अजीत ने आगे कहा, उन्हें कांग्रेस पार्टी के अज्ञात कार्यकर्ताओं के धमकी भरे कॉल आते थे और कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती थी, हो सकता है इन्हीं बातों से उन्हें चोट लगी हो। अजीत ने कहा, मैंने सोचा था कि वह कांग्रेस पार्टी से गुस्सा है, लेकिन मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। उनका यह फैसला पूरी तरह गलत है। पार्टी उन्हें इस्तेमाल करके कढ़ी पत्ते की तरह फेंक देगी और वो देखते रह जाएंगे।