Resort Politics: राज्यसभा चुनाव से पहले इस्तीफों से घबराई कांग्रेस, 65 विधायकों को रिजॉर्ट में किया शिफ्ट, जानिए पूरा समीकरण?

Resort Politics: राज्यसभा चुनाव से पहले इस्तीफों से घबराई कांग्रेस, 65 विधायकों को रिजॉर्ट में किया शिफ्ट, जानिए पूरा समीकरण?

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-07 07:43 GMT
Resort Politics: राज्यसभा चुनाव से पहले इस्तीफों से घबराई कांग्रेस, 65 विधायकों को रिजॉर्ट में किया शिफ्ट, जानिए पूरा समीकरण?

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले गुजरात कांग्रेस ने 65 विधायकों को 3 अलग-अलग रिजॉर्ट में शिफ्ट कर दिया है। विधायकों को 20, 20 और 25 की टीम में रखा गया है। कांग्रेस ने अपने कुछ विधायकों को बनासकांठा जिले के अंबाजी के पास एक रिजॉर्ट में रखा है। जबकि सौराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों को राजकोट के पास ही कांग्रेस के पूर्व विधायक इंद्रनील राज्यगुरु के रिजॉर्ट नील सिटी में रखा गया है। वहीं, मध्य गुजरात और दक्षिण गुजरात के विधायकों को फार्म हाउस में रखा गया है। कांग्रेस को विधायकों के टूटने का डर सता रहा है जिसकी वजह से पार्टी ने ये कदम उठाया है। राज्यसभा चुनावों की घोषणा के बाद से कांग्रेस के 8 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। 

विधायकों के रिजॉर्ट से बाहर निकलने पर प्रतिबंध नहीं
कांग्रेस प्रवक्ता जयराज सिंह परमार ने कहा कि रिजार्ट से बाहर जाने पर विधायकों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि भाजपा कांग्रेस के विधायकों को लेकर बल का प्रयोग ना कर पाए। उन्होंने कहा, होटल में विधायकों को राज्यसभा चुनाव के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा और बताया जाएगा कि मतदान कैसे करना है। कांग्रेस के नेता अर्जुन मोढवाडिया का आरोप है कि जिन विधायकों ने अपनी जिंदगी में कभी एक साथ 50 लाख रुपए नहीं देखे हैं वैसे विधायकों को बीजेपी 20 करोड़ दे रही है. बीजेपी सिर्फ और सिर्फ इस कोरोना जैसी महामारी के वक्त में भी लोगों का टेस्ट करने की जगह कांग्रेस के विधायकों को खरीदने में लगी है।

राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव
बता दें कि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों की झड़ी के बाद राज्यसभा चुनाव का गणित बदल गया है। गुजरात में राज्यसभा की 4 सीटों पर 19 जून को चुनाव होना है। बीजेपी ने तीन उम्मीदवार अभय भारद्वाज, रामिला बारा और नरहरि अमीन को मैदान में उतारा हैं, जबकि कांग्रेस की दो प्रत्याशी शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी मैदान में हैं। जो समीकरण बन रहे हैं, उनमें बीजेपी को सीधा फायदा दिख रहा है। बीजेपी के पास 103 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 182 सदस्यीय विधानसभा में 65 विधायक हैं। इस्तीफे और अदालती मामलों के कारण विधानसभा की दस सीटें खाली हैं। जबकि बीटीपी के पास दो, एनसीपी के पास एक और एक विधायक निर्दलीय है।  गुजरात में एक राज्यसभा सीट का जादुई आंकड़ा फिलहाल 35 है। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से ये समीकरण बिगड़ा है, नहीं तो पहली वरीयता के 37 वोट जरूरी होते।

जानिए क्या है राज्यसभा सीटों का गणित?
राज्यसभा में एक उम्मीदवार को चुने जाने कि लिए कितने वोट चाहिए ये विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है। इसका एक फार्मूला भी तय है। कुल विधायकों की संख्या को राज्यसभा के लिए जितने सदस्य चुने जाने है उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है। गुजरात के मामले में 182 को पांच से विभाजित करेंगे तो 36.4 यानी 37 हो गए। लेकिन गुजरात में 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदस्य संख्या 174 होती है जबकि दो सीटें खाली है। ऐसे में वास्तविक संख्या 172 ही बैठती है। 172 को 5 से विभाजित करने पर 34.4 आता है। यानी एक सदस्य को राज्यसभा सीट जीतने के लिए पहली वरीयता के 35 वोटों की जरुरत होगी। इसमें भी विधायकों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देना होता है। अगर एक ही सीट के लिए अलग-अलग चार उम्मीदवार हैं, तो फिर वोट देने वाले विधायक को ये बताना होता है कि उसकी पहली पसंद कौन है, दूसरी कौन, तीसरी, चौथी और पांचवी पसंद कौन है। पहली पसंद के वोट जिसे ज्यादा मिलेंगे, वही जीता हुआ माना जाएगा।

दो सीटों पर कांग्रेस का जीत पाना मुश्किल
8 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस के दो उम्मीदवारों की जीत मुश्किल है। कांग्रेस अब अपने विधायकों की बदौलत दो में से एक ही सीट हासिल कर सकती है। यानी शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह में से कोई एक ही राज्यसभा में पहुंच पाएगा। माना जा रहा है कि गोहिल को पहली वरियता का वोट मिलेगा। क्योंकि गुजरात की सियासत में उनके कद को देखते हुए पार्टी कोई खतरा मोल नहीं लेगी। अहमद पटेल को पिछला राज्यसभा चुनाव जिताने में गोहिल की अहम भूमिका था। उनका राज्यसभा के लिए निर्वाचित होना तकरीबन तय है। लेकिन भरत सिंह सोलंकी का भविष्य अधर में लटका है। बीजेपी की बात करें तो अब तक के गणित के लिहाज से उसे सिर्फ दो सीटें ही जीत मिल सकती थी लेकिन कांग्रेस के 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब तीसरी सीट पर भी उसका पलड़ा भारी होता दिख रहा है।

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