मप्र विधानसभा में नेहरू Vs अंबेडकर!: नेहरू की तस्वीर हटा कर और बाबासाहेब की लगाकर बीजेपी तय कर रही है लोकसभा का एजेंडा?

  • शीतकालीन सत्र के दौरान एमपी विधानसभा में हुआ तस्वीर को लेकर हंगामा
  • कांग्रेस नेताओं नेहरू की तस्वीर हटाए जाने को लेकर किया विरोध

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-19 12:33 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के विधानसभा में मंगलवार को शीतकालीन सत्र चर्चा के पहले ही दिन ही खूब हंगामा देखने को मिला। दरअसल, विधानसभा सदन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटाकर उसकी जगह डॉ. बीआर अंबेडकर की फोटो लगा दी गई। जिस पर कांग्रेस नेताओं ने जमकर बवाल काटा। नेहरू की यह तस्वीर साल 1996 से विधानसभा अध्यक्ष की सीट के पीछे लगी हुई थी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्हें बीआर अंबेडकर की फोटो लगाने से कोई नाराजगी नहीं है लेकिन जब पहले से ही जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगी हुई थी तो उसे क्यों हटा दिया गया? हालांंकि, अब इस पूरे मसले पर प्रदेश की सियासत पर भी असर देखने को मिल सकता है। 

दलित वोटर हो सकते हैं नाराज

विधानसभा में अब स्पीकर की सीट के पीछे दलित नेता बाबासाहेब की तस्वीर लग गई है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर अब बीआर अंबेडकर की जगह पर नेहरू की तस्वीर फिर से लगाई जाती है तो दलित समुदाय के लोग इसे अपमान के तौर पर देखेंगे। जिसका खामियाजा कांग्रेस को झेलना पड़ सकता है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस राज्य की दलित आरक्षित सीटों पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। राज्य में 35 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। जिसमें इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने महज 9 सीटों पर ही जीत हासिल की है। वहीं, बीजेपी ने 26 सीटों पर जीत हासिल की हैं। कांग्रेस को इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले में 8 सीटों को नुकसान झेलना पड़ा है। 

अब कुछ माह के बाद मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। आम चुनाव के लिहाज से राज्य में अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें आरक्षित हैं। जिसमें कांग्रेस के पास एक भी सीट मौजूद नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को बीआर अंबेडकर की फोटो को हटाकर नेहरू की फोटो लगाना काफी मुश्किलें भरा हो सकता है। क्योंकि, दलित समुदाय कांग्रेस के कोर वोट बैंक माने जाते हैं। अगर यह तपका कांग्रेस का साथ छोड़ता है तो उसे आगामी लोकसभा में भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। 

मुद्दा खिंचता है तो क्या होगा?

अगर कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार अग्रेसिव तरीके से उठाती रहती है तो वह देश की कुल 21.1% अनुसूचित जनजाति आबादी को नाराज करेगी। देश में कुल 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरिक्षत हैं। राजनीतिक जानकारों को माने तो कांग्रेस को इस मुद्दे को सीधे तौर पर ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए नहीं तो पार्टी का कोर वोट बैंक खराब हो सकता है। 

नेहरू की तस्वीर पर आज क्या बवाल हुआ

कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा कि बीजेपी इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है। हम बीआर अंबेडकर की फोटो का स्वागत करते हैं लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सदन में फिर से नेहरू की तस्वीर लगाने की मांग की है। वहीं मामले को गर्माता देख मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव एपी सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने कहा कि प्रोटेम स्पीकर गिरीश गौतम की तरफ से खराब हुई तस्वीरों को बदलने का फैसला लिया गया था। डॉ. बीआर अंबेडकर की तस्वीर लगाने का फैसला भी उनका था। इधर, बीजेपी नेता राकेश सिंह ने सदन में कहा कि अगर किसी प्रधानमंत्री की तस्वीर सदन में नहीं है तो फिर नेहरू की तस्वीर क्यों होनी चाहिए?

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