लोकसभा चुनाव 2024: जानिए महाकाल की नगरी के नाम से विख्यात उज्जैन लोकसभा सीट का इतिहास
- उज्जैन लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
- 2009 में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू ने बीजेपी को हराया
- बीजेपी के सत्यनारायण जटिया सबसे अधिक बार जीते
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की धर्मधानी कही जाने वाली महाकाल की नगरी उज्जैन लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण सीट है। उज्जैन में अब तक के हुए आम चुनावों के नतीजों में जनता ने भाजपा पर सबसे अधिक बार भरोसा जताया है। भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर सत्यनारायण जटिया ने रिकॉर्ड 7 बार चुनाव जीता है। उज्जैन लोकसभा सीट में शुरुआती दौर में कांग्रेस ने अपनी पकड़ बनाई, लेकिन उसके बाद वह साल दर साल कमजोर होती गई। उज्जैन लोकसभा सीट से 8 बार भाजपा, 4 बार कांग्रेस, 2 बार जनसंघ और 1-1 बार जनता पार्टी और भारतीय लोक दल ने जीत दर्ज की। वर्तमान में भाजपा के अनिल फिरोजिया यहां से सांसद हैं। आज हम आपको बताएंगे उज्जैन लोकसभा सीट के इतिहास के बारे में।
उज्जैन लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
उज्जैन में पहला लोकसभा चुनाव आजादी के बाद साल 1957 में हुआ। तब कांग्रेस के प्रत्याशी व्यास राधेलाल ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने साल 1962 के चुनाव में भी अपनी सांसदी बरकरार रखते हुए कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई। इस चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी लंबे समय तक उज्जैन संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत सकी। साल 1967 में कांग्रेस को यहां से पहली बार हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी हुकुमचंद सांसद बने। साल 1971 में एक बार फिर जनसंघ ने चुनाव जीता और इस बार फूलचंद वर्मा निर्वाचित हुए। आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में हुकुमचंद कछवे ने भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव जीता और सांसद बने। 1977 में जनता पार्टी के गठन के बाद साल 1980 में उसे जीत मिली और सत्यनारायण जटिया सांसद बने। साल 1984 में कांग्रेस ने उज्जैन सीट पर वापसी की और सत्यनारायण पवार सांसद बने। इसी साल भाजपा की चुनाव में एंट्री हो गई थी। 1989 के आम चुनाव में भाजपा ने यहां से अपना पहला चुनाव जीता और सत्यनारायण जटिया सांसद बने। सत्यनारायण जटिया ने अगले पांच लोकसभा चुनाव 1991, 1996, 1998, 1999 व 2004 में जीत दर्ज की। 2009 में कांग्रेस पार्टी ने लंबे अंतराल बाद वापसी की जहां कांग्रेस के प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने नजदीकी मुकाबले में भाजपा के सत्यनारायण जटिया को मात दी। 2014 में भाजपा ने चिंतामनी मालवीय को उज्जैन सीट से मैदान में उतारा और उन्होंने भाजपा को जीत दिलाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता प्रो. चिंतामणि मालवीय सांसद के रुप में निर्वाचित हुए, उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के धुरंधर नेता प्रेमचंद गुड्डू को 30,96,63 वोटों से हराया था। यहां की 63 प्रतिशत आबादी गांवों में और 36 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं। 2019 में भाजपा के अनिल फिरोजिया निर्वाचित हुए।
क्या रहे पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे?
मध्य प्रदेश की उज्जैन लोकसभा सीट पर साल 2019 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी अनिल फिरोजिया ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बाबुल मालवीय को 3 लाख 65 हजार 637 वोटों के अंतर से हराया था। चुनाव के नतीजों में भाजपा ने कुल 7 लाख 91 हजार 663 वोट हासिल किए थे। वहीं, कांग्रेस पार्टी 4 लाख 26 हजार 26 वोट ही हासिल कर सकी।
1967 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई सीट
परिसीमन होने के बाद उज्जैन की लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी के हाथ से निकल गई थी। साल 1967 में पहली बार कांग्रेस को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में जनसंघ के प्रत्याशी हुकुमचंद को जीत मिली थी। जो कि अनुसूचित जाति से इस सीट के पहले सांसद बने। इसके बाद लगातार यहां से जो भी सांसद चुने गए हैं वह सभी अनुसूचित जाति के ही रहे हैं। अगले तीन लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई। लेकिन साल 1984 में कांग्रेस ने फिर सीट पर वापसी की। सत्यनारायण पवार सांसद निर्वाचित हुए। हालांकि, वे अगले चुनाव में अपनी जीत को दोहरा नहीं पाए और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
सत्यनारायण जटिया का दौर
सत्यनारायण जटिया भाजपा से अनुसूचित जाति का ऐसा चेहरा थे जिन्होंने उज्जैन लोकसभा सीट से लगातार 6 चुनाव जीते। उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 1980 में जनता पार्टी के टिकट से लड़ा था और वे पहली बार सांसद बने थे। लेकिन उनकी किस्मत साल 1989 में चमकी जब उन्होंने भाजपा के टिकट से उज्जैन सीट से चुनाव लड़ना शुरु किया। साल 1989 से 2004 तक वे लगातार आम चुनावों में एक तरफा जीतते रहे। इस दौरान कांग्रेस ने उन्हें हराने की भरपूर कोशिश की लेकिन उसे हर बार नाकामयाबी ही मिली। लेकिन साल 2009 के आम चुनाव में सियासी समीकरण बदल गए। कांग्रेस ने लंबे संघर्ष के बाद वापसी की और प्रेमचंद गुड्डू सांसद बने।
2009 में हुई कांग्रेस की वापसी
भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली उज्जैन लोकसभा सीट पर साल 2009 के नतीजों ने भाजपा के अंदर खलबली मचा दी थी। नतीजों में 6 बार से जीतते आ रहे भाजपा के दिग्गज नेता सत्यनारायण जटिया को कांग्रेस के गुड्डू प्रेमचंद से बेहद करीबी मुकाबले में हार मिली। जटिया को इस चुनाव में कुल 3 लाख 11 हजार 64 वोट मिले। वहीं उन्हें हराने वाले कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू प्रेमचंद को 3 लाख 26 हजार 905 वोट मिले। सत्यनारायण जटिया मात्र 15 हजार 841 से चुनाव हार गए थे। सत्यनारायण के चुनाव हारने का यही कारण बताया जाता है कि वे अपनों के विरोध का ही शिकार हुए थे और उज्जैन की जनता भी तब एक नए चेहरा ढूंढ़ रही थी जो उनका उद्धार कर सके। कांग्रेस ने चुनाव जरूर जीता लेकिन 2014 में एक बार फिर भाजपा ने उज्जैन सीट को कांग्रेस के हाथों से छीन लिया। हालांकि, इस बार भाजपा ने जटिया की जगह चिंतामणि मालवीय को सांसद बनाया था।
कैसा है जातिगत वर्गीकरण?
उज्जैन लोकसभा सीट में कुल 4 लाख 98 हजार 473 मतदाता हैं। उज्जैन लोकसभा क्षेत्र में करीब 47 फीसदी आबादी एससी एसटी आबादी की है। 24.6 फीसदी मतदाता सामान्य वर्ग से आते हैं। 3.9 फीसदी वोटर्स अल्पसंख्यक और 6.6 फीसदी अन्य वोटर्स हैं।