छत्तीसगढ़ सियासत: सीएम फेस के लिए किस तरह फिट बैठते चले गए विष्णुदेव साय? समझें बीजेपी की रणनीति
- विष्णुदेव साय होंगे बीजेपी की ओर से छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री
- अरुण साव और विजय शर्मा को मिलेगा डिप्टी सीएम का पदभार
- रमन सिंह बनेंगे विधानसभा स्पीकर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रविवार को मुख्यमंत्री चेहरा ऐलान कर दिया। रायपुर में हुए विधायक दल की बैठक में विष्णु देव साय को प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव पर कम दिलचस्पी दिखाते हुए पार्टी ने विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाना बेहतर समझा। हालांकि, कई सियासी जानकार बीजेपी के इस फैसले पर हैरान हैं तो कई इसे बीजेपी की रणनीति एक हिस्सा बताते रहे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि पार्टी के इस फैसले के पीछे का राज क्या है? आखिर मुख्यमंत्री रेस में कहीं नहीं दिखाई देने वाले विष्णु देव साय अचानक पार्टी के लिए सीएम फेस की पहली पसंद कैसे बन गए?
आदिवासी फैक्टर
छत्तीसगढ़ की सियासत आदिवासी वोट बैंक से होकर ही गुजरती है। राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल करना है तो उसे आदिवासी वोटरों का साथ मिलना जरूरी है। क्योंकि, प्रदेश की 34 फीसदी आबादी आदिवासी समुदाय से आती है। इसके अलावा विधानसभा में 29 सीटें अनुसूचित जनजाति(ST) के लिए आरक्षित है।
इस बार के चुनाव में बीजेपी ने इन 29 सीटों में से 17 पर जीत हासिल की है। पिछले चुनाव के दौरान राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बनने के पीछे की भी वजह आदिवासी ही बने थे। इस बार बीजेपी ने इस वोट बैंक को टारगेट करने के लिए विष्णुदेव साय को बतौर मुख्यमंत्री के रूप में चुना है।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आदिवासी के लिए आरक्षित कुल 29 सीटों में से 27 पर जीत हासिल की थी। खास बात यह है कि कांग्रेस ने इन सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल की थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की कुल 11 लोकसभा सीटों में से 8 पर जीत हासिल की थी। जिनमें आदिवासियों के लिए आरक्षित 3 सीटें भी शामिल रहीं। बता दें कि राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए आदिवासी समुदाय के लिए चार सीटें आरक्षित है।
इस आधार पर भी फिट बैठे विष्णुदेव साय
विष्णुदेव साय छत्तसीगढ़ के कुनकुरी विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए हैं। विष्णुदेव साय साल 2020 में छत्तसीगढ़ में बतौर बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर भी पदभार संभाल चुके हैं। वे सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। साय की संघ में अच्छी पकड़ मानी जाती है साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी भी माने जाते हैं। साल 1999 से 2014 तक वह रायगढ़ से सांसद रहे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साय को केंद्र में मंत्री भी बनाया गया था। जिसके बाद वे संगठन पद से इस्तीफ़ा दे दिए थे। विष्णुदेव साय चार बार के सांसद और तीन बार के विधायक भी रहे हैं। ऐसे में विष्णुदेव साय के पास अनुभव की कोई कमी नहीं है।
साय का राजनीति सफर
विष्णु देव साय ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1990 से शुरू किया। वह 1990 से 1998 तक संयुक्त मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक रह चुके हैं। साय चार बार लोकसभा से सांसद रह चुके हैं। 1999 से 2019 तक सांसद रहे साय 2014 से 2019 तक मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। विधायक के तौर पर यह उनका तीसरा कार्यकाल है। साय को 2019 में लोकसभा का टिकट नहीं मिला था।
रमन सिंह और अरुण साव का क्यों कटा पत्ता?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाल चुके रमन सिंह का सीएम पद के लिए इसलिए भी पत्ता कट गया क्योंकि, वे ऊंची जाति से आते हैं। हालांकि, पार्टी ने उनके अनुभवों के आधार पर विधानसभा स्पीकर के तौर पर नियुक्त करने फैसला किया है। वे राज्य में अगले विधानसभा स्पीकर के तौर चुने जाएंगे। इसके अलावा राज्य में सीएम रेस में ओबीसी समाज से अरुण साव भी अंतिम तक सीएम रेस में बने हुए थे। लेकिन वे भी पार्टी के पैमानों और जातिगत समीकरण के लिहाज से फिट नहीं बैठे और उनका भी पत्ता सीएम पद के लिए कट गया। बीजेपी ने अरुण साव को राज्य का अगला डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया है।