विधानसभा चुनाव 2023: कांग्रेस-बीजेपी को बागियों का सहारा! हंग एसेंबली की नौबत आई तो बागी प्रत्याशी ही बनवाएंगे सरकार, मनाने के लिए अभी से एक्टिव हुए दोनों दल!

  • एमपी विधानसभा चुनाव के लिए डाले जा चुके हैं वोट
  • चुनावी नतीजे 3 दिसंबर को होंगे घोषित

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-27 09:37 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश में जैसे-जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आती जा रही है,भाजपा और कांग्रेस के साथ ही आम आदमी भी जीत-हार का गणित लगा रहा है। उधर, मतदाताओं के मौन और तरह-तरह की आ रही रिपोर्ट्स के बाद भाजपा और कांग्रेस का बागियों पर प्यार उमड़ पड़ा है। ये वे नेता हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ा है और उन्हें उनकी पार्टी ने अपना दुश्मन बताते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन अब जिन बागियों के जीतने की संभावनाएं नजर आ रही हैं, उन पर पार्टियों ने डोरे डालना शुरु कर दिए हैं, जिससे हंग एसेंबली या 5-7 सीटों के अंतर मिटाना आसान हो सके।

बिना लहर के चुनाव होने के कारण इस बार प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए अभी से दोनों पार्टियों ने जमावट करनी शुरू कर दी है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस-भाजपा की नजर ऐसे प्रत्याशियों पर है, जिन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ा और अब वे जीत के मुहाने पर बताए जा रहे है। गौरतलब है कि इस बार भाजपा और कांग्रेस बगावत कर बसपा, निर्दलीय या अन्य दलों हसे चुनाव लड़ एक दर्जन से ज्यादा ऐसे प्रत्याशी है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे मजबूत स्थिति में है और परिणाम उनके पक्ष में जा सकता है। ऐसे में दोनों प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस ने इन नेताओं से संपर्क बनना शुरु कर दिया है। वर्ष 2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों के 30 बागी मैदान में थे, उनमें से महज 4 ही चुनाव जीत पाने में कामयाब हुए थे, लेकिन कई ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर कई सीटों पर अपनी मूल पार्टी का नुकसान किया था। इस बार बागी हुए बड़े और कद्दावर नेताओं की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है। इनमें से कुछ को भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने दल से प्रत्याशी बनाया है, जबकि दूसरे निर्दलीय बसपा या आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान में है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो बसपा या आम आदमी पार्टी से जितने ही उम्मीदवार विधायक चुने जाएंगे, उन्हें प्रमुख दल तभी अपने साथ मिला पाएंगे, जब वे दलबदल कानून के तहत पर्याप्त संख्या बल के आधार पर दलों का साथ देने को तैयार होंगे।

त्रिकोणीय संघर्ष वाली सीटें

मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस के बीच ही चुनावी मुकाबला होता रहा है। वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा सत्ता जरूर कायम नहीं रख पाई, लेकिन कांग्रेस भी बहुमत का आंकड़ा प्राप्त नहीं कर सकी थी। अब 2023 के लिए चुनावी तस्वीर साफ हो रही है। हर दूसरे दिन एक सर्वे रिपोर्ट आ रही है, जिसमें कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की सरकार बनाती दिख रही है। सट्टा बाजार में भी दोनों पार्टियों के भाव शेयर मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव पर हैं। ऐसे में सभी की नजर मतदाताओं की ओर है।

त्रिकोणीय संघर्ष वाली सीटों ने इस चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। कम से कम 24 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बागियों ने ही चुनौती पेश की है। इन सीटों पर चुनावी संघर्ष ऐसे संकेत दे रहा है कि बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे दलों के प्रत्याशी भी प्रमुख दलों को नुकसान पहुंचाएंगे। ये तमाम सीटें बहुमत का आंकड़ा जुटाने में भी निर्णायक साबित होंगी।

मध्य क्षेत्र

  • होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने डॉ. सीतासरन शर्मा तो कांग्रेस ने उनके बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा को मैदान में उतारा है। भाजपा के असंतुष्टों ने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता भगवती चौरे को खड़ा किया है।
  • नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा से शेखर चौधरी को कांग्रेस ने पहले टिकट दिया था बाद में उनका टिकट काटकर एनपी प्रजापति को दे दिया। इससे नाराज शेखर चौधरी मैदान में ​उतर गए।
  • सिवनी मालवा से भाजपा के प्रेमशंकर वर्मा तो कांग्रेस से अजय पटेल मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के बागी प्रत्याशी ओम रघुवंशी मैदान में कूद गए हैं।
  • गुना जिले की चाचौड़ा सीट पर भाजपा से प्रियंका मीना और कांग्रेस से लक्ष्मण सिंह मैदान में हैं। उधर भाजपा की बागी ममता मीना ने आप से उतरकर बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है।

मालवांचल

  • इंदौर जिले के डॉ. आंबेडकर नगर महू विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से मंत्री ऊषा ठाकुर उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस से रामकिशोर शुक्ला। कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार निर्दलीय लड़ रहे हैं।
  • बुरहानपुर चुनाव चर्तुकोषणीय मुकाबला में फंसा। बीजेपी पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस तो कांग्रेस ने सुरेन्द्र शेरा को टिकट दिया। इधर बीजेपी से पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान निर्दलीय उतरे हैं तो उधर कांग्रेस के बागी नफीस मंशा खान ने एआईएमआईएम से मैदान में है।
  • धार से बीजेपी ने नीना वर्मा तो कांग्रेस ने प्रभा गौतम को मैदान में उतारा है। पार्टी के इस फैसले के विरोध में बीजेपी—कांग्रेस के बागी मैदान में उतरे हैं। बीजेपी से राजीव यादव तो कांग्रेस से कुलदीप सिंह बुंदेला निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
  • उज्जैन जिले के बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से राजेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट बदलकर विधायक मुरली मोरवाल को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। जिसके बाद खुद नाराज सोलंकी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं।
  • रतलाम जिले की आलोट विधानसभा से कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुडडू ने मैदान में उतरकर त्रिकोणीय मुकाबला कर दिया है।

विंध्य

  • विंध्य अंचल की सीधी सीट से विधायक केदारनाथ शुक्ला का भाजपा से टिकट कट जाने के कारण वह निर्दलीय मैदान में हैं। वह भाजपा की प्रत्याशी रीति पाठक और कांग्रेस के ज्ञान सिंह को चुनौती दे रहे हैं।
  • चुरहट सीट पर भी पूर्व सांसद गोविंद सिंह के पुत्र अनेंद्र मिश्र राजन ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। यहां कांग्रेस से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उम्मीदवार हैं।
  • मैहर में विंध्य जनता पार्टी से विधायक नारायण त्रिपाठी चुनावी मैदान में हैं और बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
  • मंडला की बिछिया सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कमलेश टेकाम मैदान में हैं जो भाजपा के डॉ. विजय आनंद मरावी और कांग्रेस से नारायण सिंह पट्टा को चुनौती दे रहे हैं।
  • डिंडौरी सीट पर जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता रुद्रेश परस्ते ने निर्दलीय मैदान में उतरकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
  • शहडोल संभाग की जयसिंहनगर, जैतपुर और कोतमा सीटों पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है।

ग्वालियर-चंबल

  • ग्वालियर-चंबल अंचल में भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से भाजपा के बागी रसाल सिंह बसपा, अटेर से मुन्ना सिंह भदौरिया सपा, भिंड विधानसभा सीट से संजीव सिंह कुशवाह बसपा और मुरैना विधानसभा सीट से बीजेपी के बागी राकेश रुस्तम सिंह बसपा से चुनाव मैदान में हैं।
  • मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा से कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार और दिमनी से बलवीर डंडोतिया बसपा के टिकट पर मैदान में डटे हैं।
  • शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

बुंदेलखंड

  • बुंदेलखंड के जतारा में कांग्रेस से बागी धर्मेंद्र अहिरवार बसपा से उतरे हैं।
  • सागर जिले के बंडा विधानसभा में भाजपा से बगावत कर सुधीर यादव ने आपसे उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
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