समुद्री सरक्षा और शांति: हम किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
- बातचीत और कूटनीति का युग
- साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत सभी मालवाहक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक जलक्षेत्र में निरंतर उपस्थिति बनाए हुए है और वह क्षेत्र के सामूहिक कल्याण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेगा।
राजनाथ सिंह ने जिसे वे 'ठंडी शांति' कहते हैं, उसके बारे में विस्तार से बताया, जहां पार्टियां खुले में एक-दूसरे को नहीं मारती हैं, बल्कि एक-दूसरे को कमजोर करने की पूरी कोशिश करती हैं। उन्होंने ठंडी शांति को सीधे संघर्षों के बीच का अंतराल मात्र बताया।
रक्षा मंत्री ने कहा, "सकारात्मक शांति कोई भारतीय शांति या आस्ट्रेलियाई शांति या जापानी शांति नहीं है, बल्कि यह साझा ग्लोबल शांति है। यह भावना भी स्पष्ट रूप से स्थापित की गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि बातचीत और कूटनीति का युग है
रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के इस दौर में सामूहिक रूप से शांति का आह्वान किया। उन्होंने शांति और साझा अच्छाई की वकालत करते हुए कहा कि देश साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
विशाखापत्तनम में मिलन नौसैनिक अभ्यास के औपचारिक उद्घाटन समारोह में उनकी टिप्पणी यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में विभिन्न वाणिज्यिक जहाजों पर हमले किए जाने से बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आई। इन खतरों में समुद्री डकैती और तस्करी शामिल है।
खबरों के मुताबिक मंत्री ने विशाखापत्तनम में बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास 'मिलन-24' के 12वें संस्करण के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि युद्धों और संघर्षों का नहीं होना शांति का युग है, नकारात्मक शांति' का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अक्सर ये प्रभुत्व या आधिपत्य से उत्पन्न होती है, जहां एक शक्ति अपनी इच्छा दूसरों पर थोपती है। निष्पक्षता और न्याय द्वारा समर्थित नहीं होने वाली ऐसी शांति को भौतिक विज्ञानी और अर्थशास्त्री 'अस्थिर संतुलन' कहते हैं।
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बल दोहरी भूमिका निभाते हैं। युद्ध का संचालन करने के साथ वे शांति और अच्छी व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ऐतिहासिक अनुभव हमें बताता है कि सशस्त्र बल भी शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने मिलन 2024 को महासागरों और पहाड़ों के दायरे में मौजूद देशों के बीच बेहद जरूरी भाईचारा बनाने का प्रयास बताया है।