फिर विवादों में आरजी कर हॉस्पिटल: युवक की मौत के बाद हुआ जबरदस्त हंगामा, परिवार का आरोप - 'मौके पर कोई डॉक्टर नहीं था मौजूद'

  • फिर विवादों में आरजी कर हॉस्पिटल
  • घायल युवक की समय पर इलाज न मिलने से मौत
  • मृतक के परिजनों ने मचाया हंगामा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-07 14:05 GMT

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर मामले से सुर्खियों में आया आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में एक बार फिर बवाल मच गया। इस बार अस्पताल के डॉक्टरों पर समय से इलाज न करने का आरोप लगा है।

दरअसल, हुगली जिले के कोन्नगर के विक्रम भट्टाचाजी (28) को शु्क्रवार को ट्रक ने रौंद दिया था। जिसके बाद उसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। विक्रम की मौत के बाद उसके घरवालों ने अस्पताल में हंगामा शुरु कर दिया। मृतक की मां का आरोप है कि इमरजेंसी में डॉक्टर मौजूद नहीं था जिसके चलते इलाज में देरी हुई और उसकी जान चली गई है। उन्होंने कहा कि उस समय मेरे बेटे की सर्जरी हो जानी चाहिए थी। लेकिन वहां इमरजेंसी में भी डॉक्टर नहीं था।

मिली जानकारी के मुताबिक मृतक को शुक्रवार की दोपहर करीब 1 बजे अस्पताल लाया गया था। हालांकि आरजी कर प्रबंधन की ओर से मृतक के परिवार के आरोपों का खंडन किया गया। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि विक्रम को आरजी कर अस्पताल लाने के फौरन बाद ट्रॉमा केयर ले जाया गया।

उसके शरीर के दो अंगों में गंभीर चोट आई थी। इसके अलावा उन्होंने पाया कि उसके सिर पर भी गंभीर चोट थी। उसे सीटी स्कैन के लिए ले जाया गया। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक जिस समय विक्रम के सीटी स्कैन की योजना बनाई जा रही थी उसी दौरान उसे सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा था और उसकी मौत हो गई।

इस घटना पर अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'कोन्नगर के एक युवा लड़के ने आज सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी। उसे 3 घंटे तक बिना किसी इलाज के रहना पड़ा और इस दौरान उसका खून बहता रहा। यह आरजी कर की घटना के जवाब में डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन का नतीजा है।'

उन्होंने आगे कहा, 'जूनियर डॉक्टरों की मांगें उचित और वैध दोनों हैं। मैं उनसे इस तरह से विरोध करने का आग्रह करता हूं, जिससे जरूरी चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों। रोक सकने लायक लापरवाही के कारण किसी की मौत होना सदोष हत्या के समान है। अगर विरोध जारी रखना है, तो इसे रचनात्मक तरीके से, सहानुभूति और मानवता के साथ किया जाना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि निष्क्रियता या उपेक्षा की वजह किसी और की जान जोखिम में न पड़े।'

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