घाटी में गर्मी का कहर: जम्मू-कश्मीर में गर्मी से हाल बेहाल, जानिए आखिर क्यों गर्म हो रहा है 'धरती का स्वर्ग'?
- कश्मीर में गर्मी से हाल बेहाल
- कश्मीर में टूटे कई सालों के रिकॉर्ड
- तापमान में बदलाव के कारण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर आज कल गर्मी से परेशान है। साथ ही लू ने भी लोगों का हाल बेहाल करके रखा है। आपको बता दें कि कश्मीर के कई इलाकों में बीते 25 साल में जुलाई महीने का सबसे ज्यादा तापमान रविवार को दर्ज किया गया है। कश्मीर में गर्मी से हाल बेहाल होने के कारण स्कूलों को भी दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है। साथ ही मानसून का सीजन चल रहा है जिसमें कई जगहों पर बारिश से बुरा हाल हो रहा है। वहीं कश्मीर की वादियों में ठंडी हवाओं और बारिश की जगह पर लू बह रही है। इन दिनों कश्मीर में जो हाल हैं वैसे हाल जल्दी देखने नहीं मिलते हैं। क्योंकि कश्मीर में खूबसूरत वादियों के साथ साथ मौसम भी बहुत शानदार होता है। इसलिए ही इस बार मौसम ने हर किसी को परेशान करके रख दिया है। वहीं इस बार लू और गर्मी के चलते कश्मीर की रौनक थोड़ी कम हो गई है।
जुलाई में टूटे गर्मी के कई सालों के रिकॉर्ड
श्रीनगर में जुलाई के महीने का सबसे गर्म दिन 10 जुलाई, 1946 में दर्ज हुआ था। जब पारा 38.3 डिग्री सेल्सियस तक छू लिया था। वहीं अगर बात करें दक्षिण कश्मीर की तो वहां के काजीगुंड और कोकरनाग कस्बों में रविवार को जुलाई का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। आपको बता दें कि काजीगुंड में अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। जो पहले भी दर्ज किए गए तापमानों से भी बहुत अधिक है। 11 जुलाई 1988 में दर्ज किया गया तापमान जो कि 35.6 डिग्री था उसको भी पीछे छोड़ दिया।
कश्मीर का वार्षिक तापमान
भारत में लू चलना कोई अंचभित करने वाली बात नहीं है। वहीं इस साल बारिश का देर से आना हुआ है जिसके चलते पूरे उत्तर भारत में हीटवेव का कहर बरसा है। आपको बता दें कि केवल मैदानी इलाकों में ही नहीं बल्कि हिमालय में भी तापमान बढ़ रहा है। डायलॉग अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार 2019 की एक स्टडी से पता चला है कि कश्मीर में साल का औसत तापमान 1980-2016 यानी 37 सालों में 0.8डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। साथ ही पीछले कुछ सालों में गर्मियों के रिकॉर्ड तोड़ तापमान दर्ज किया गया है।
बरसात के मौसम में भी क्यों हैं कश्मीर गर्मी से परेशान
2019 की इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट में इस बात का जिक्र गया है कि, "भले ही ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित हो, लेकिन हिंदू कुश हिमालय में वार्मिंग कम से कम 0.3 डिग्री सेल्सियस अधिक होने की संभावना है।" इसके अलावा 2020 में एक रिसर्च के चलते भविष्यवाणी की थी कि कश्मीर में वार्षिक तापमान सदी के अंत में 4 से 7 डिग्री के बीच में तापमान बढ़ने की संभावना है। कश्मीर और अन्य पर्वतीय इलाकों में लोगों के बसने के चलते भी तापमान में बढ़त होती नजर आ रही है। साथ ही ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना और उनकी कमी से भी कश्मीर के मौसम में बदलाव नजर आ रहे हैं।