सत्याग्रह: रामाकोना के निकट लाखनवाड़ी में हुआ था जंगल सत्याग्रह

  • सत्याग्रहियों ने सैनिक छावनी के सामने घास काट कर जंगल कानून तोड़ा था
  • बैतूल और सिवनी के साथ छिंदवाड़ा में हुआ था जंगल सत्याग्रह
  • सत्याग्रह के पूर्व बनाई थी कार्ययोजना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-15 09:44 GMT

डिजिटल डेस्क, सौंसर। रामाकोना जंगल सत्याग्रह का प्रमुख केंद्र रहा है, जो सत्याग्रह की प्रयोगशाला के रुप में संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरक सिद्ध हुआ। भारत की गौरवशाली पंरपरा, संस्कृति एवं सभ्यता सत्य व अहिंसा की आधारशिला पर स्थापित है। 94 साल पहले महात्मा गांधी के राष्ट्रव्यापी असहयोग आंदोलन के तहत अंग्रेजों के बनाए गए जंगल कानून को तोडऩे के लिए मप्र में बैतुल व सिवनी के साथ छिंदवाड़ा में जंगल सत्याग्रह हुआ था। छिंदवाड़ा से 28 मिल दूर खुटामा ग्राम पंचायत के तहत आने वाले नवथल ग्राम के लाखनवाड़ी में यह सत्याग्रह 21 अगस्त 1930 को हुआ था। लाखनवाड़ी के जंगल में स्थित अंग्रेजों की सैनिक छावनी के निकट ही घास काट कर जंगल कानून तोड़ा गया था।

सत्याग्रह में सौंसर, लोधीखेड़ा, बेरडी, पांढुर्ना और तिगांव के सत्याग्रहियों की विशेष भूमिका रही है। लाखनवाड़ी में जंगल सत्याग्रह स्थल जहां अंग्रेजों के सैनिक छावनी थी इसके अवशेष आज भी मौजूद है। रामाकोना के स्व. रघुनाथ भोपे इस सत्याग्रह के वालेंटियर कमांडेट थे। उनके नेतृत्व में सत्याग्रहियों का बड़ा दल क्षेत्र में सक्रिय रहता था। सभी सदस्य स्वतंत्र संग्राम पर अपना जीवन नौछावर कर चुके थे। इसमें सौंसर से चिंधु आप्पा, बाबूराव कापसे, आत्माराम घाटोड, देवी ग्राम से उमाजी चौधरी, लोधीखेड़ा से छोटेलाल छवरे, रामाकोना से चिंधुजी मोहिते, सदाशिवी अंबोरे, तुकाराम ठोसरे, बग्गु बिछवा से श्याम जैवार का नाम प्रमुख रहा है।

सत्याग्रह के पूर्व बनाई थी कार्ययोजना

जंगल सत्याग्रह की पूर्व योजना के लिए सत्याग्रहियों ने रामाकोना में स्व. जगन्नाथ तिवारी के निवास पर शिविर स्थापित किया था। श्री तिवारी के नाती सुनिल के अनुसार 19व 20अगस्त को दो दिन के शिविर का शुभारंभ रघुनाथ भोपे ने तिरंगा ध्वज फहराकर किया था। सत्याग्रह के दिन सत्याग्रही कतारबद्ध होकर महात्मा गांधी का जयघोष कर लाखनवाड़ी पहुंचे थे। जंगल सत्याग्रह के पूर्व सत्याग्रहियों ने योजना बनाई थी। जिसके अनुसार सत्याग्रही 11-11की टोली में रामाकोना पहुंचे थे। सत्याग्रहियों के लिए भोजन का प्रबंधन मानिकराव चौरे ने किया था।

महिलाओं की भी रही भूमिका

सत्याग्रह को सफल बनाने में महिलाओं की भी प्रमुख भूमिका रही है। इनमें जयाबाई अंभोरे, यशोदाबाई भोपे, श्रीमती बदरेबाई देवी, अहिल्याबाई भोपे का समावेश है।

अघोषित सत्याग्रही

शोधपत्र के अनुसार जंगल कानून तोडऩे में अघोषित सत्याग्रहियों की भी भूमिका रही थी। इसमें दौलत चौधरी, बालाजी डोईजोड, झिंगर्या पातुरकर, आन्याजी महाजन, किसनलाल हजारे, नत्थुजी पातुरकर, दशरथ करवंदे, जगन खोडके का समावेश था।

इन्हें हुई थी सजा

जंगल तोड़ो कानून के सत्याग्रह में रघुनाथ भोपे वालेंटियर कमांडेट थे। इनके नेतृत्व में सत्याग्रह में शामिल हुए चिंधुजी आप्पा, बाबूराव कापसे, आत्माराम घाटोड, उमाजी चौधरी, छोटेलाल छवरे, चिंधुजी मोहिते, सदाशीव अंबोरे, तुकाराम ठोसरे, श्याम गणपती जैवार को सजा हुई थी।

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