गणतंत्र दिवस स्पेशल: 24 जनवरी को ही बन कर तैयार था संविधान, फिर गणतंत्र दिवस मनाने में क्यों लगा दो दिन का समय, जानिए इस तारीख का गौरवशाली इतिहास
- 24 जनवरी को ही बन कर तैयार था देश का संविधान
- लेकिन दो दिन बाद 26 जनवरी से किया गया लागू
- जानिए इस तारीख का गौरवशाली इतिहास
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस वर्ष हमारा देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। स्वतंत्र भारत से गणतंत्र भारत का सफर इतना आसान नहीं था। इसके लिए ना जाने कितनी माता-बहनों, बेटे और भाईयों ने बलिदान दिया है। न जाने कितनी कुर्बानियां हमारे वीर सपूतों ने दी है। तब जाकर हमें एक स्वतंत्र व गणत्रंत भारत मिला। मगर क्या आपको पता है कि 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस के लिए क्यों चुना गया। इस कार्य में वो कौन लोग थे जिन्होंने इसके लिए अपने दिन-रात एक कर दिए। जब 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार कर लिया था। तब भी इसे लागू करने में दो दिन का वक्त लगा। इसकी क्या वजह थी और इसे क्यों लिया गया। हम इन सवालों के जवाब आपको बताते हैं।
संविधान सभा की बैठक
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान बनाने की शुरुवात संविधान सभा की बैठक से होती है। इस बैठक का मुख्य उद्देश उन लोगों का चुनाव करना था। जो संविधान बनाने के प्रक्रिया में शामिल होने वाले थे। 9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक होती है। इस बैठक में 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान सच्चिदानंद सिन्हा को इस सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। मगर बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
आजादी के लगभग 15 दिन बाद 29 अगस्त 1947 को एक समिति बनाई गई। जिसका मकसद संविधान का मसौदा तैयार करना था। डॉ. बी.आर. अंबेडकर इस समिति का नेतृत्व कर रहे थे। इस समिति में अलादी कृष्णास्वामी अय्यर, के.एम. मुंशी, मुहम्मद सादुल्लाह, एन. माधव राव, टी.टी. कृष्णमाचारी और गोपाला स्वामी अयंगर जैसे दिग्गज शामिल थे।
अंग्रेजों के कानून की जगह बना अपना संविधान
आजादी के बाद बनाई गई समिति ने 4 नवंबर 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करके संविधान सभा के सामने पेश किया गया। मगर अभी काम पूरा नहीं हुआ था। इस मसौदे को लेकर सबके अलग-अगल विचार थे। फिर दो सालों तक संविधान सभा की कई बैठक की गई। मसौदे में बहुत से बदलाव भी किए गए। अंतत: वो दिन आ गया और 24 जनवरी 1950 को इसे स्वीकार कर लिया। इसकी दो प्रतियां बनाई गई। एक हिंदी और एक अंग्रेजी जहां कुल 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया। यह क्षण पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक था। अब अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन कानून की जगह भारत के पास अपना संविधान था। हालांकि, संविधान को लागू करने के लिए संविधान सभा ने दो दिन और इंतजार किया। फिर 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ।
क्यों किया गया दो दिन और इंतजार?
जब 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे स्वीकार कर लिया। फिर इसे लागू करने के लिए संविधान सभा ने दो दिन का इंतजार क्यों किया? बता दें कि 26 जनवरी 1930 को लाहौर सत्र के दौरान कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वराज दिन के रूप में नामित किया और भारतीयों से इसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया गया था। यह वह दिन था जब सत्र के दौरान पहली बार तिरंगा फहराया गया था।
इसलिए 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के स्वीकार करने के बाद भी दो दिन का और इंतजार करके 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया। ताकि 26 जनवरी के दिन को यादगार बनाया जा सके। यही कारण है कि 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।