लोकतंत्र: सुको जस्टिस दत्ता ने कहा लोकतंत्र अपने सभी स्तंभों के बीच सद्भाव व विश्वास बनाने से संबंधित

  • लोकतंत्र में सद्भाव और विश्वास
  • वीवीपैट -ईवीएम मामले में सभी याचिकाएं खारिज
  • अनुचित संदेह प्रगति में बाधक बन सकता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-26 12:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र खुला संवाद, प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रथाओं की सक्रिय भागीदारी के जरिये व्यवस्था में लगातार सुधार के माध्यम से अपने सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाने के प्रयास से संबंधित है। जस्टिस दीपांकर दत्ता उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से डाले गये मत का ‘वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) के साथ मिलान कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी।

पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना की राय से सहमति जताने वाले एक पृथक फैसले में अपने विचार व्यक्त करते हुए जस्टिस दत्ता ने कहा कि ईवीएम की प्रभाविता पर संदेह का मुद्दा पहले भी सर्वोच्च अदालत के समक्ष उठाया जा चुका है और यह अनिवार्य है कि इस तरह के मुद्दे का अब अंतिम निष्कर्ष निकाला जाए।जस्टिस दत्ता ने कहा कि मतपत्रों या ईवीएम के किसी भी विकल्प को अपनाने के प्रतिगामी उपायों से बचना होगा, जो भारतीय नागरिकों के हितों की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा जब तक ईवीएम के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जाते, तब तक आगे कदम बढ़ाते हुए सुधार के साथ मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के मुताबिक न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि व्यवस्थाओं या संस्थानों के मूल्यांकन में संतुलित परिप्रेक्ष्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है और व्यवस्था के किसी भी पहलू पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह पैदा कर सकता है तथा प्रगति में बाधक बन सकता है।उन्होंने कहा कि सार्थक सुधार के लिए जगह बनाने और व्यवस्था की विश्वसनीयता एवं प्रभाविता सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य और कारण द्वारा निर्देशित एक महत्वपूर्ण, लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए।

भाषा के अनुसार न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, चाहे नागरिक हों, न्यायपालिका हो, निर्वाचित प्रतिनिधि हों, या यहां तक कि चुनावी मशीनरी, लोकतंत्र खुले संवाद, प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रथाओं में सक्रिय भागीदारी द्वारा व्यवस्था में लगातार सुधार के माध्यम से अपने सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पैदा करने के प्रयास से संबंधित है।

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