महिलाओं को लेकर यूएन की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, जानिए भारत में क्या है स्थिति

गर्भपात को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-13 15:11 GMT

डिजिटल डेस्क,दिल्ली।  देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महिलाएं अब तेजी से रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ कर सफलता की सीढ़िया चढ़ रही हैं। लेकिन ऐसी तमाम उपलब्धियों के बाद भी हाल ही में आए ताजा आंकड़ो से पता चला है कि दुनियाभर के करीब 90 फीसदी लोगों में अभी भी महिलाओं को लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह है। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस 90 फीसदी आबादी की बात हम कर रहे हैं उसमें केवल पुरूष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं। इससे स्पष्ठ है कि महिलाएं भी महिलाओं को लेकर ही किसी ना किसी तरह के पूर्वाग्रह से परेशान है।

वर्तमान समय में महिलाएं  हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं लेकिन उसके बाद भी ना केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में उन्हें रिग्रेसिव पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ रहा है। 1995 से अब तक महिलाओं की भागीदारी केंद्र और राज्य सरकारों में  लगभग 10 प्रतिशत ही रही है। केबिनेट से लेकर कॉरपोरेट बोर्डरूम तक पुरूषों की तुलना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम रहा है।

हाल ही में किए गए यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम के जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (GSNI) के ताजा सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के साथ दुनियाभर में हो रहे पूर्वाग्रहों को चार आयामों में निर्धारित किया गया है। जिसमें राजनीति, शैक्षणिक, आर्थिक और फिजिकल इंटेग्रिटी को शामिल किया गया है।

पुरूष नेता की तुलना में महिला नेता कमजोर

यूएन की इस रिपोर्ट में सामने आया है कि पुरुष नेता महिलाओं की तुलना में बेहतर नेता होते हैं। ऐसा मानने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है। लेकिन किसी भी लोकतंत्र की सच्चाई यह है कि महिलाओं के पास भी पुरूषों के जैसे समान अधिकार होना बेहद जरूरी है।

महिलाओं की तुलना में पुरूषों की आय और शिक्षा अधिक हो

सर्वे में जो आकंड़े सामने आए हैं उनमें यह स्पष्ठ रूप से दिखाई दे रहा है कि महिलाओं की तुलना में पुरूषों की शिक्षा अधिक होनी चाहिए, साथ ही पुरूषों की आय भी महिलाओं से अधिक होनी चाहिए। ऐसे सोचने वालों की सख्या भी बहुत हैं।

पत्नी को पीटना जायज

सर्वे में यह भी पता चला है कि दुनिया भर के कई लोगों को लगता है कि पति का पत्नि को पीटना उचित है ऐसा मानने वाले लोगों की आबादी 25 फीसदी है। लेकिन वह यह मानते हैं कि गर्भपात को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

यूएनडीपी की रिपोर्ट के आकंड़ो से पता चलता है कि दुनियाभर में 28 फीसदी लोग शैक्षणिक आधार पर, 61 फीसदी लोग महिलाओं को लेकर राजनीति तौर पर, 75 फीसदी लोग महिलाओं के खिलाफ फिजिकल इंटेग्रिटी और 60 फीसदी आर्थिक आधार पर पूर्वाग्रह रखते हैं। भारत के हालात तो इन मामलों में और भी बदतर हैं।

भारत में महिलाओं की कमाई बहुत कम

भारत में पुरूषों की तुलना में महिलाओं की कमाई की बात करें तो यहां पुरूषों की तुलना में महिलाओं की आय महज 20 फीसदी ही है। भारत में महिलाओं को लेकर 99 फीसदी लोगों में पूर्वाग्रह हैं. देश में 69 फीसदी लोग महिलाओं के खिलाफ राजनीतिक तौर पर, 39 फीसदी शैक्षणिक, 75 फीसदी आर्थिक और 92 फीसदी फिजिकल तौर पर पूर्वाग्रह रखते हैं।

बता दें रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक असमानता के कारण समाज में महिलाओं के अधिकार प्रभावित होते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं को अधिक समर्थन की आवश्यकता है। 2021 में महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय पुरूषों की तुलना में  लगभग 21 फीसदी है। जबकि कॉन्गो,दक्षिण सूडान, यूगांडा और जिम्बाबे जैसे कई अफ्रीकी देशों में यह आंकडा 75 फीसदी के करीब है।

यूएनडीपी की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि महिलाएं नेता बन सकती हैं, शिक्षा हासिल कर सकती हैं,कमा सकती हैं इसके बावजूद भी पतियों का उन्हें पीटना जायज है ऐसा मानने वालों की संख्या बड़ी तादाद में हैं।

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