ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा झटका, श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज
- हिंदू पक्ष की याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य कहा
- जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने सुनाया फैसला
डिजिटल डेस्क, वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनने लायक बताया है वहीं मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने इस विवाद में यथास्थिति बनाए रखने की अपील की थी। दरअसल, 5 हिंदू महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका वाराणसी जिला कोर्ट में दायर की थी। हिंदू पक्ष की इस याचिका के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि कोर्ट इसे स्वीकार न करे। कोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया।
कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा है कि कोर्ट का इस मामले में साफ कहना है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है।
कोर्ट ने क्या कहा ?
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोर्ट ने कहा, 'हिंदू पक्ष विवादित संपत्ति पर श्रृंगार गौरी समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा की मांग कर रहा है। इसलिए सिविल कोर्ट के पास इस केस के बारे में फैसला सुनाने का अधिकार है। वादी की दलीलों के अनुसार वो 1993 तक लंबे समय से विवादित स्थान स्थल पर पूजा करते आए हैं। 15 अगस्त 1947 के बाद भी यहां पूजा होती रही है। इसलिए यहां पूजा स्थल अधिनियम 1991 के अनुसार पूजा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।'
कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील एसएफए नकवी ने कहा था कि उपासना स्थल अधिनियम 1993 के मुताबिक नियमित पूजा प्रतिबंधित है क्योंकि पूजा होने से स्थल की धार्मिक प्रकृति से छेड़छाड़ होगी, जो कानूनन मुमकिन नहीं है। इसलिए यहां नियमित पूजा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
क्या है मामला?
दरअसल, पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति कोर्ट से मांगी थी। जिनमें श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा प्रमुख थी। महिलाओं की मांग पर कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे करने का आदेश दिया था। सर्वे होने के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से इसे फव्वारा बताया गया था।
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा करने की इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। इन महिलाओं का कहना था कि 1993 तक मस्जिद परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा का अधिकार हिंदुओं को था, लिकन 1993 से यह एक दिन के लिए सीमित कर दिया। ये महिलाएं हैं, दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बाकी की चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की रहने वाली हैं। अभी श्रृगांर गौरी की पूजा साल में केवल एक दिन होती है। यह पूजा चैत्र महीने की नवरात्रि में चौथे दिन की जाती है।