नागरिकता: वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सीएए कानून के पक्ष में कई बड़ी अहम बातें
- देशभर में लागू नागरिकता संशोधन कानून
- पक्ष-विपक्ष में फिर से बहस शुरू
- ब्रिटेन का इमिग्रेशन सिस्टम ध्वस्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के लागू किए जाने के बाद इस पर पक्ष और विपक्ष में एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है। तीन मुस्लिम बहुल देशों से 'प्रताड़ित' गैर-मुस्लिम आबादी को भारत की नागरिकता देने का मामला शीर्ष कोर्ट भी पहुंच गया है। कुछ लोग सीएए का विरोध कर रहे तो कुछ लोग सीएए को सही ठहरा रहे है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कानून के पक्ष में कई अहम बातें बताई है।
सीएए से समानता का अधिकार और अनुच्छेद 14 के उल्लंघन के दावों पर हरीश साल्वे ने बताया कि अनुच्छेद 14 के तहत तमाम भारतीयों को भारत में अधिकार मिलता है। नागरिकता कानून एक नीतिगत चॉइस है। उन्होंने ब्रिटेन की स्थिति का हवाला देकर बताया कि कैसे ब्रिटेन ने शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले और आज उससे परेशान है। ब्रिटेन का इमिग्रेशन सिस्टम ध्वस्त हो रहा है।
नागरिकता कानून के विरोध पर हरीश साल्वे कहते हैं, इसका मतलब नहीं बनता कि आपको 'प्रताड़ित' लोगों के एक वर्ग को नागरिकता देने के लिए पूरी दुनिया के लोगों को शामिल कर लें।(जिन्हें नागरिकता दी जा रही है) वे भारतीय एथ्निसिटी के हैं। धार्मिक आधार पर उनके साथ भेदभाव होता है।
भारतीय कानून ब्रिटेन से अलग
निजी न्यूज चैनल आज तक की खबर के मुताबिक वरिष्ठ वकील ने साफ तौर पर कहा है कि भारत प्रवासियों को लेकर सीमा नहीं खोल रहा है, ना ही भारत प्रवास को आमंत्रित कर रहा हैं। बल्कि वे लोग जो पलायन कर चुके हैं लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून को चुनौती देने के मामले पर हरीश साल्वे ने कहा कि कानून पर रोक लगाने की मांग से क्या मिलेगा? क्या टॉप कोर्ट इस पर सभी के लिए रोक लगाने जा रहा है? नहीं. कम से कम मुट्ठी भर लोगों को लाभ तो मिलने दीजिए। जिनको मिल रहा है उन्हें लेने देना चाहिए। याचिकाकर्ता का मामला यह है कि अधिक लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, ऐसा नहीं कि किसी को भी शामिल नहीं किया जाना चाहिए, है ना? तो उन्हें रुकने से क्या मिल रहा है? इसकी तात्कालिकता क्या है? क्या लोग सीमा पर मर रहे हैं? 2014 की कट ऑफ डेट है। किसी को बाहर नहीं किया जा रहा है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और कानून के विरोध में तर्क दिए जाते हैं कि नागरिकता कानून से भारत की धर्मनिरपेक्षता प्रभावित होती है, इस संबंध में एक सवाल पर हरीश साल्वे ने कहा जब सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करती है तो आप कहते हैं कि हर किसी के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता, लेकिन नागरिकता कानून पर इसके विपरीत बोलते है। साल्वे ने कहा सीएए में जिन समुदाय के लोगों को नागरिकता देने की बात की जा रही है ये हमारी ही जाति के लोग हैं।
संशोधित कानून में दिसंबर 2014 की कट ऑफ तारीख तय की गई है। इसपर हरीश साल्वे कहते हैं कि कुछ कट ऑफ डेट होनी चाहिए। इसका मतलब है कि जो लोग इस तारीख से पहले आकर भारत में रह रहे हैं, सिर्फ उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी। सीएए में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।