भोपाल समेत मध्यप्रदेश के इन शहरों में हुई बारिश, तापमान में आई गिरावट, मौसम विभाग ने जताई मानसून में देरी की संभावना
- मौसम विभाग ने जताई सामान्य बारिश की संभावना
- बारिश से तर हुए कई शहर
- मानसून कब देगा दस्तक?
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मई के महीने में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मध्यप्रदेश में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। आज राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई। मौसम के मिजाज में अचानक आए इस बदलाव से मौसम सुहाना हो गया। वहीं बादल छाने से प्रदेश के तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस तक की कमी आई। पारे में आई गिरावट से लोगों को गर्मी से राहत मिली। मौसम विभाग ने आने वाले कुछ घंटों के भीतर ग्वालियर-चंबल, जबलपुर, सिवनी, मंडला और छिंदवाड़ा के साथ सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना और टीकमगढ़ जिलों में भी हल्की बूंदाबांदी होने की आसार जताए हैं।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बदले हुए मौसम के पीछे का कारण प्रदेश में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है। इस सिस्टम के एक्टिव होने के चलते ग्वालियर, चंबल और सागर समेत अन्य संभागों में आगामी 5 दिनों तक हल्की बारिश हो सकती है।
इन स्थानों पर हुई बारिश
आज राजधानी भोपाल में दोपहर 3 बजे के करीब घने बादल छाना शुरू हो गए, जिसके आधे घंटे बाद से कई इलाकों में हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई। भोपाल के एमपीनगर और आईएसबीटी के पास ओले भी गिरे। भोपाल के अलावा उसके पड़ोसी जिले रायसेन, नर्मदापुरम में भी हल्की बारिश हुई।
इस साल देर से दस्तक देगा मानसून
मौसम विभाग ने इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के चार से पांच दिन देरी से पहुंचने के आसार जताए हैं। आमतौर पर 1 जून को केरल में दस्तक देने वाले मानसून के इस बार 5 जून तक यहां पहुंचने के आसार हैं। बता दें कि देश में मानसून की एंट्री केरल के रास्ते ही होती है। पिछले साल मानसून 29 मई को केरल पहुंचा था।
सामान्य बारिश होने की जताई संभावना
मौसम विभाग ने इस साल मानसून के सामान्य रहने की संभावना जताई है। अगर ऐसा होता है तो खद्यान का उत्पादन भी अच्छा होगा, जिससे महंगाई पर लगाम लग सकेगी। क्योंकि देश में गर्मियों की फसल की बुआई जून के प्रथम सप्ताह से लेकर अगस्त तक होती है। ऐसे में दक्षिण-पश्चिम मानसून का इसी समय देश में एंट्री करना फसलों के लिए लाभदायक होगा। दरअसल, भारत में अभी भी करीब 70 फीसदी किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं, अगर बारिश अच्छी होगी तो फसलों की पैदावार भी अच्छी होगी।