हिंडनबर्ग रिपोर्ट: SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर लगे आरोपों को लेकर सियासी बवाल शुरू, कांग्रेस TMC ने मोदी 3.0 को लिया आड़े हाथ

  • हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
  • सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति पर लगे गंभीर आरोप
  • आरोपों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-11 03:49 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को नई रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की यह रिपोर्ट सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सेबी अध्यक्ष को लेकर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करने से नहीं चूक रहा है। इसके अलावा इस मामले में विपक्ष ने तत्काल जांच करने की मांग की है। 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर कांग्रेस-टीएमसी का हमला

इस मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने लिखा, "अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सु्प्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से...उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडो के अंतिम लाभकारी (यानी वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था।"

जयराम रमेश का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोप गौतम अडानी की ओर से सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद बुच के साथ लगातार दो 2022 बैठकों के बारे में नए सवाल खड़े करते हैं

कांग्रेस के अलावा तृणमू कांग्रेस (टीएमसी) ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी अध्यक्ष को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अडानी समूह में सेबी अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच को एक निवेशक बताया हैं। उन्होंने कहा कि क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है। इस दौरान महुआ मोइत्रा ने सेबी हिंडनबर्ग मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी की जांच करने की मांग की है।

जानें क्या है मामला

अमेरिका की शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में बड़ा दावा किया। इस रिपोर्ट में आरोप है कि चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति पर अडानी समूह के वित्तीय कदाचार से संबंधित ऑफसोर एंटिटि में हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला भी दिया गया। जिसके दावा किया गया कि इन संस्थाओं को गौतम अडानी के बड़े भाई विनेद अडानी की ओर से पैसों की हेराफेरी के संबंध में इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क में शामिल थी। इसके अलावा रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017 से लेकर 2022 के बीच सेबी अध्यक्ष बुच की ऑफशोर सिंगापुर स्थित अगोरा पार्टनर्स नाम की कंसल्टिंग फर्म में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी होने का दावा किया गया है। इसके बाद 16 मार्च 2022 को सेबी की चेयरपर्सन बनने के बाद बुच ने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर किए थे। इसके बाद रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी समूह के खिलाफ जांच करने में सेबी की “निष्पक्षता” “संभावित हितों के टकराव” के कारण ‘संदिग्ध’ है।

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