कोविशील्ड साइड इफेक्ट: कोविशील्ड लेने वाले 10 लाख में से सिर्फ 7 को ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट अटैक जैसे गंभीर साइड इफेक्ट का खतरा
- कोविशील्ड पर राहत भरी खबर
- वैक्सीन लेने वाले 10 लाख में से सिर्फ 8 को खतरा
- आईएसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक का दावा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिनों ब्रिटिश कोर्ट में एस्ट्राजेनेका के खुलासे से कोरोना से बचने के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले हर इंसान के अंदर खौफ आ गया। कंपनी ने कोर्ट में माना कि वैक्सीन के खतरनाक साइड इफैक्ट हो सकते हैं। इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है कि वैक्सीन लेने वाले 10 लाख लोगों में से सिर्फ 7 लोगों पर खतरनाक साइड इफैक्ट का खतरा रहता है। आईएसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक का कहना है कि डरने की कोई जरूरत नहीं है, बहुत दुर्लभ केस में ही गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं। आइसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने कहा है कि वैक्सीन से किसी भी तरह का रिस्क नहीं है।
न्यूज 18 से बातचीत के दौरान डॉ. रमन गांगाखेडकर ने कहा, "जब आप पहली डोज लेते हैं तो सबसे ज्यादा रिस्क होता है। दूसरी डोज लेने पर यह कम हो जाता है और फिर तीसरी में तो एकदम कम हो जाता है। अगर साइड इफेक्ट होना होता है तो शुरुआती दो से तीन महीनों में असर दिख जाता है।" उन्होंने कहा कि वेक्सीन लेने के सालों बाद अब डरने की जरूरत नहीं है।
साइड इफेक्ट के आरोप को पहले नकारा
सबसे पहले साल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के व्यक्ति ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हेल्थ खराब होने लगी। खून के थक्के बनने से उनके दिमाग पर इसका असर पड़ा, इसके अलावा उनके ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। इसके बाद साल 2023 में जेमी ने दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ केस किया।
जेमी के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा करते हुए कहा कि उसकी वैक्सीन से टीटीएस नहीं हो सकता। हालांकि अब कोर्ट में जमा किए अपने दस्तावेजों में वह अपने उस दावे से पलट गई। गौर करने वाली बात यह है कि जब से इस वैक्सीन के साइट इफेक्ट्स से जुड़े मामले सामने आए हैं तब से ही इसका इस्तेमाल यूके में नहीं किया जाता है।
टीटीएस का खतरा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट में जमा किए अपने दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने माना है कि वैक्सीन से कुछ केसों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इस बीमारी में शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या भी कम हो जाती है।
ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एस्ट्रॉजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों ने जान गंवाई। वहीं कईयों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। इसी के चलते कंपनी पर कोर्ट में करीब 51 मामले चल रहे हैं। पीड़ितों ने वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्रॉजेनेका से 1 हजार करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है।