जांच एजेंसी पर हमला: पश्चिम बंगाल पहुंची एनआईए की टीम पर हमला, भूपतिनगर ब्लास्ट की जांच करने पहुंचे थे अधिकारी
- बंगाल पहुंची एनआईए की टीम पर हमला
- मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर का मामला
- 2022 के ब्लास्ट के सिलसिले में पहुंची थी टीम
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भूपतिनगर ब्लास्ट मामले की जांच करने पहुंची एनआईए की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों की एक टीम पूर्वी मेदिनीपुर के भूपतिनगर में साल 2022 में हुए विस्फोट मामले में जांच करने सुबह करीब 5:30 बजे पहुंची थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनआईए की टीम मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार करने भूपतिनगर पहुंची थी लेकिन, स्थानीय लोगों ने गिरफ्तारी के खिलाफ पहले प्रदर्शन शुरू कर दी और उसके बाद अधिकारियों की टीम पर हमला बोल दिया।
ईंट-पत्थरों से हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिकारियों की एक टीम 3 दिसंबर 2022 को भूपतिनगर में हुए एक विस्फोट के संबंध में जांच करने पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के भूपतिनगर में सुबह करीब 5:30 बजे पहुंची थी। ब्लास्ट मामले में आरोजी टीएमसी नेता मनबेंद्र जाना को गिरफ्तार करने पहुंची थी। टीएसी नेता को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए जांच एजेंसी की टीम ले जा रही थी तभी कई लोगों ने एजेंसी के अधिकारियों को घेर लिया और रिहा करने की मांग करने लगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान जांच एजेंसी की टीम पर ईंट और पत्थरों से हमला किया गया। न्यूज रिपोर्ट्स की मानें तो हमले में दो अधिकारी घायल हो गए। इस दौरान पथराव की वजह से मौके पर खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। बता दें कि एनआईए के टीम के साथ मौके पर केंद्रीय पुलिस फोर्स भी मौजूद थी जिनकी मदद से स्थिति को नियंत्रण में लाया गया। हमले के बाद टीम ने सीधा स्थानीय पुलिस स्टेशन का रूख किया।
क्या है पूरा मामला?
भूपतिनगर में 3 दिसंबर 2022 को एक ब्लास्ट हुआ था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। तृणमूल कांग्रेस के बूथ अध्यक्ष राजकुमार मन्ना, उनके भाई देवकुमार मन्ना और विश्वजीत गायेन पर अवैध सट्टेबाजी का आरोप लगा था, जिसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है। इस मामले में एजेंसी ने 8 टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजा था। इस नोटिस पर किसी भी नेता ने कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद पिछले सप्ताह एजेंसी ने दूसरी बार सभी को नोटिस भेजा था। एक बार फिर टीएमसी नेताओं ने नोटिस को नजरअंदाज करते हुए कोई जवाब नहीं दिया।