क्या कांग्रेस में पुराने नेताओं की भरपाई हो सकती है?
कांग्रेस की सियासत क्या कांग्रेस में पुराने नेताओं की भरपाई हो सकती है?
- क्या कांग्रेस में पुराने नेताओं की भरपाई हो सकती है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी के पार्टी में आने से पहले कांग्रेस के कई धुरंधर नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़ दिया है। मौजूदा समय में भी कई ऐसे नेता हैं कांग्रेस पार्टी में जो नाराज चल रहे हैं, इन सबके बीच कन्हैया और जिग्नेश का पार्टी में आना कितने फायदेमंद होता है, ये देखना दिलचस्प होने वाला है। हालांकि माना यही जा रहा है कि कन्हैया और जिग्नेश की प्राथमिकता युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने और राहुल गांधी को मोदी के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करने की होगी।
इन नेताओं के "हाथ" छोड़ने से कमजोर हुई टीम राहुल
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की चीफ रहीं सुष्मिता देव ने हाल ही में "हाथ" छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया है। टीएमसी ने उनको राज्यसभा भी भेजा है। उससे पहले यूपी में प्रमुख ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी को अपना लिया था। अब यूपी की योगी सरकार में उनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राहुल गांधी के बेहद करीबी और दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे माधव राव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इतना ही नहीं, वह जब बीजेपी में आए थे तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने फिर से सरकार बनाया था। आज ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। इन युवा नेताओं के साथ छोड़ने से कांग्रेस में राहुल की टीम कमजोर हो गई है।
इन चेहरों की कमी पूरी कर पाएंगे कन्हैया और जिग्नेश?
ऊपर कांग्रेस छोड़ने वाले जिन चेहरों की बात हमने की वे सभी युवा हैं और अपने क्षेत्रों में युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ भी है। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस में आने के बाद इन लोगों की कमी को पूरा करना होगा। हालांकि ये लोग उस कमी को कितना पूरा कर पाते हैं यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इनके कांग्रेस में शामिल होने से इतना संदेश जरूर जाएगा कि कांग्रेस में युवाओं को तवज्जो दी जा रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजकल अपनी नई टीम बनाने में जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी से बहुत प्रभावित हैं। कन्हैया कुमार पीएम मोदी के खिलाफ काफी मुखर भी रहे हैं। ऐसे में राहुल के रणनीतिकारों को लगता है कि कन्हैया और जिग्नेश के साथ से राहुल को मोदी विरोध की राजनीति में मजबूती मिलेगी। साथ ही इन नेताओं के जरिए युवाओं के बीच यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के तौर पर राहुल गांधी ही हैं जिनके पाय युवा सोच और युवा जोश है।