सर्द मौसम के बावजूद चमोली में क्यों टूटा ग्लेशियर, इसरो ने सेटेलाइट तस्वीरों को देखकर बताया आपदा का कारण
सर्द मौसम के बावजूद चमोली में क्यों टूटा ग्लेशियर, इसरो ने सेटेलाइट तस्वीरों को देखकर बताया आपदा का कारण
- टनल के 130 मीटर हिस्से से मलबा हटाया
- सीएम रावत ने आपदा के दूसरे दिन चौंकाने वाला बयान दिया
डिजिटल डेस्क, देहरादून। भारत में फरवरी सर्दी का महीना होता है और उत्तर भारत के इलाकों में कई बार तो ठंड इतनी बढ़ जाती है कि तापमान शून्य से नीचे चले जाता है। बावजूद इसके रविवार को गढ़वाल हिमालय के चमोली जिले में ग्लेशियर का टूटना कई सवाल पैदा करता है। इसमें से एक सवाल यह भी है कि इतनी सर्दी में ग्लेशियर पिघलने का कारण क्या हो सकता है। यह सवाल कई सालों से शोधकर्ताओं को परेशान कर रहा है। साथ ही इसे लेकर कई स्टडीज और अध्ययन भी होते रहते हैं। कुछ जियोलॉजिस्ट का कहना है कि जलवायु परिवर्तन इसका एक कारण हो सकता है।
भूस्खलन या हिमस्खलन क्या है कारण
इसके अलावा वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक मनीष मेहता का कहना है कि यह एक विसंगति है, सर्दियों में ग्लेशियर अच्छे से जमे होते हैं, साथ ही जगह-जगह बर्फ अच्छे से बंधी होती है और इस मौसम में बाढ़ आमतौर पर भूस्खलन या हिमस्खलन की वजह से होती है, लेकिन रविवार को जो ग्लेशियर चमोली जिले में टूटा उसका कारण दोनों में से कोई नहीं है।
इसरो ने बताया आपदा का कारण
वहीं रविवार को चमोली में आई आपदा के बाद इसरो ने आपदा का कारण साफ करते हुए बताया कि क्षेत्र में ग्लेशियर नहीं टूटा है, बल्कि आपदा बर्फ के पिघलने के वजह से आई है। इसरो ने यह जानकारी सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से दी।
आपदा के बाद के हालात
बता दें कि अब तक आपदा में 19 मृत लोगों के शवों को निकाला जा चुका है। इसके अलावा अभी तक 202 लोगों के लापता होने की अशांका जताई जा रही है। बाढ़ के कारण कई जिलों का संपर्क भी टूट गया है। अब सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है कि हालात को जल्द से जल्द पहले जैसा कैसे किया जाए। वहीं, SDRF की 11, NDRF की 1 और ITBP की कई टीमें भी लापता लोगों की खोज में लगी हुई हैं।