एक्जिट पोल क्या है और उनके परिणाम कितने विश्वसनीय हैं?

एक्जिट पोल क्या है और उनके परिणाम कितने विश्वसनीय हैं?

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-18 18:00 GMT
एक्जिट पोल क्या है और उनके परिणाम कितने विश्वसनीय हैं?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग रविवार को होगी जिसके बाद एग्जिट पोल के प्रसारण पर लगी रोक हट जाएगी। चुनाव के नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे। एग्जिट पोल क्या हैं और ये कितने सही हैं पढ़िए हमारी इस रिपोर्ट में।

एग्जिट पोल क्या हैं और कैसे कंडक्ट होते हैं?
एक चुनावी एग्जिट पोल वोटर्स का एक पोल है, जब मतदाता अपना वोट डालने के बाद बाहर निकलता है। एग्जिट पोल को इस बात का सूचक माना जाता है कि कौनसी पार्टी की सरकार बन सकती है। एक ओपिनियन पोल के विपरीत, जिसमे मतदाता से पूछा जाता है कि वह किस पार्टी को वोट देने की योजाना बना रहा है, एक एक्जिट पोल में पूछा जाता है कि मतदाता ने वास्तव में किसके लिए मतदान किया है। कई ऑर्गेनाइजेशन एग्जिट पोल कंडक्ट कराती हैं।

EC ने एग्जिट पोल को क्यों प्रतिबंधित किया हैं?
चुनाव आयोग ने वर्ष 2004 में छह राष्ट्रीय दलों और 18 क्षेत्रिय दलों के साथ कानून मंत्रालय से संपर्क किया था। इस दौरान चुनाव आयोग ने एक स्पेसिफाइड पीरियड के दौरान एग्जिट और ओपिनियन पोल, दोनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की मांग की थी। चुनाव आयोग की इस सिफारिश के एक पार्ट को स्वीकार करते हुए कानून मंत्रालय ने फरवरी 2010 में अधिनियम में धारा 126 (ए) को शामिल कर केवल एक्जिट पोल पर प्रतिबंध लगाया था।

एग्जिट और ओपिनियन पोल दोनों ही विवादास्पद हो सकते हैं, अगर उनको कंडक्ट करने वाली एजेंसी पक्षपाती हो। आलोचकों के अनुसार इन सर्वेक्षणों के अनुमानों को पसंद, शब्दावलियों और प्रश्नों के समय से और तैयार किए गए नमूने की प्रकृति से प्रभावित किया जा सकता है। राजनीतिक दल अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि कई ओपिनियन और एक्जिट पोल प्रतिद्वंद्वियों से प्रेरित और प्रायोजित होते हैं। ये वोटर्स की पसंद पर असर डालता है।

एग्जिट पोल पर लगे प्रतिबंध को कब हटाया जाएगा?
लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के समापन के बाद रविवार शाम 6.30 बजे एग्जिट पोल पर से प्रतिबंध हट जाएगा और इसके नतीजे जारी किए जाएंगे।

एग्जिट पोल कितने विश्वसनीय हैं?
भारत में एग्जिट पोल अक्सर अविश्वसनीय साबित हुए हैं। ऐसे कई उदाहरण आए हैं जब उन्होंने गलत तरीके से चुनाव के फैसले की भविष्यवाणी की है। 2004 में, एग्जिट पोल ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को फिर से जीतने की गलत भविष्यवाणी की, जबकि 2009 में उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के सीट शेयर को कम करके आंका। हालांकि, 2014 में टीवी चैनलों द्वारा किए गए एग्जिट पोल ज्यादातर बीजेपी के पक्ष मे थे और बीजेपी को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी कर रहे थे जो सही निकले।

चुनाव आयोग ने परिणामों की भविष्यवाणी के नियमों के बारे में क्या कहा है?
चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को सलाह दी है कि वे प्रतिबंधित समय के दौरान एग्जिट पोल के परिणामों के प्रसार से संबंधित किसी भी लेख या कार्यक्रम को प्रकाशित या प्रचारित न करें। आयोग ने ज्योतिषियों, टैरो रीडर्स, राजनीतिक विश्लेषकों या किसी भी व्यक्ति के माध्यम से स्पेसिफाइड पीरियड के दौरान चुनाव के परिणामों की भविष्यवाणी को धारा 126 ए का उल्लंघन माना है। 


 

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