यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- सिद्दीक कप्पन के पीएफआई के साथ करीबी संबंध, बड़ी साजिश का हिस्सा
उत्तर प्रदेश यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- सिद्दीक कप्पन के पीएफआई के साथ करीबी संबंध, बड़ी साजिश का हिस्सा
- यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- सिद्दीक कप्पन के पीएफआई के साथ करीबी संबंध
- बड़ी साजिश का हिस्सा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के चरमपंथी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ करीबी संबंध और गहरे संबंध थे।
राज्य सरकार ने लिखित जवाब में कहा, सामने आया कि सीएफआई के नेशनल सेक्रेटरी राउफ शरीफ ने उसे इस यात्रा के लिए वित्तीय सहायता दी थी। जांच में समाने आया की कप्पन पत्रकार के रूप में इस लिए जा रहा था ताकि वह अंडर कवर रहे। यूपी सरकार ने कहा कप्पन सहआरोपी सीएफआई के राउफ शरीफ के साथ एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसके तहत धर्मिक कलह फैलाने और देश में आतंक फैलाने का प्रयास किया गया।
राज्य सरकार ने पीएफआई और सीएफआई के साथ याचिकाकर्ता के लिंक को स्थापित करने के लिए व्हाट्सएप चैट का हवाला दिया और जांच में पीएफआई/सीएफआई (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, पीएफआई की छात्र शाखा) के साथ आतंकी फंडिंग/योजना के साथ कप्पन के गहरे संबंध दिखाई दिए।
राज्य सरकार ने कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ एक स्पष्ट प्रथम दृष्टया मामला स्थापित किया गया है, जो पीएफआई के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर, सांप्रदायिक तनाव फैलाने, दंगे और आतंक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लेख लिख रहा है।
इसमें आगे कहा गया है, भले ही चार्जशीट दायर कर दी गई हो, पूरे आतंकवादी सेल की जांच अभी भी जारी है, वास्तव में पीएफआई नेतृत्व, पी. कोया और कमल के.पी. को नोटिस दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक उन्होंने नोटिस का जवाब नहीं दिया है। इस बात की पूरी संभावना है कि आरोपी द्वारा और सबूत खोजे जा सकते हैं और उससे छेड़छाड़ की जा सकती है।
इसने आगे दावा किया कि कप्पन के लैपटॉप और दिल्ली में उनके किराए के घर से बरामद दस्तावेज, यह स्थापित करते हैं कि वर्तमान पीएफआई नेतृत्व में मूल रूप से सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया- एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित) के सदस्य शामिल थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई 9 सितंबर को करने वाली है।
एसकेके/एएनएम
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