Lockdown 3.0: परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- लोग परेशान हैं जल्द शुरू करेंगे पब्लिक ट्रांसपोर्ट
Lockdown 3.0: परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- लोग परेशान हैं जल्द शुरू करेंगे पब्लिक ट्रांसपोर्ट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन लागू किया है। हालांकि सरकार जोन पर आधारित कारोबारी गतिविधियों की छूट दी है। लोगों की परेशानियों को देखते हुए अब जल्द परिवहन के साधन बहाल किए जा सकते है। केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात के संकेत दिए हैं।
गडकरी ने आज (बुधवार) एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बस और कार ऑपरेटर्स कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, केन्द्र सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को शुरू करने की दिशा में काम कर रही है, सरकार ऐसी गाइडलाइन लेकर आ रही है जिसके आधार पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया जा सकेगा और लोग ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकेंगे।
सिर्फ ग्रीन जोन में मिली पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अनुमति
कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए केंद्र ने देश को तीन जोन में बांटा है। ग्रीन, ऑरेंज और रेड शामिल हैं। सिर्फ ग्रीन जोन में 50 प्रतिशत बसों को चलाने की अनुमति दी गई है। इनमें 50 फीसदी यात्री बैठकर सफर कर सकते हैं।
देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे लोग बाहर निकलना चाहते हैं-गडकरी
केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, लॉकडाउन की वजह से लोग देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं। सभी वहां से बाहर निकलना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में हवाई, रेलवे और सड़क परिवहन सेवा को जल्द शुरू करना जरुरी है। सरकार की भी यही कोशिश है कि इस दिशा में जल्द ही काम किया जाए। उन्होंने कहा रि हाईवेज खोलना आम लोगों में विश्वास बहाली का प्रभावी माध्यम बन सकता है।
आम हो या खास सभी को सावधानी बरतनी होगी-गडकरी
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू होने के साथ ही लोगों को ज्यादा सतर्क होना पड़ेगा। थोड़ी सी भी लापरवाही मुसीबत बन सकती है। आम हो या खास सभी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। फेस पर मास्क लगाना, हाथ धोना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना जैसे जरुरी सुरक्षा विकल्प सुनिश्चित करना होंगे।
देश में अपनाया जा सकता है लंदन मॉडल
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, सड़क परिवहन मंत्रालय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए लंदन मॉडल को अपनाने की दिशा में विचार कर रहा है। वहां सरकार की ओर से निवेश बेहद कम होता है जबकि निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाता है। हमारे यहां ट्रक और बस की बॉडी 5 साल में बेकार हो जाती है जबकि यूरोप में 15 साल चलती है।