सेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ने हवाई लक्ष्यों को सफलतापूर्वकहिट किया

डीआरडीओ सेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ने हवाई लक्ष्यों को सफलतापूर्वकहिट किया

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-30 16:30 GMT
सेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ने हवाई लक्ष्यों को सफलतापूर्वकहिट किया
हाईलाइट
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ
  • भारतीय सेना और उद्योग की सराहना की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लक्ष्य के खिलाफ हथियार प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता स्थापित करते हुए सेना की जमीन से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल ने एक बार फिर अपना जलवा दिखाया है। सेना की जमीन से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल (एमआरएसएएम) ने एक बार फिर अपनी प्रभावशीलता साबित कर दी है, क्योंकि दो मिसाइलों ने उड़ान परीक्षणों के दौरान ओडिशा के चांदीपुर तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज पर उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों पर सीधे हिट किया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यह जानकारी दी है। हथियार प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता को स्थापित करते हुए समुद्र के किनारे और उच्च ऊंचाई की कार्यक्षमता को शामिल करते हुए रणनीति के तहत इन्हें लक्ष्यों पर छोड़ा गया था। इन परीक्षणों के दौरान मिसाइल, हथियार प्रणाली रेडार और कमांड पोस्ट सहित हथियार प्रणाली सभी भागों के प्रदर्शन को मान्य किया गया। उड़ान परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किए गए।

विभिन्न श्रेणियों और परि²श्यों के लिए उड़ान परीक्षणों के समापन के साथ, सिस्टम ने अपने विकास परीक्षण पूरे कर लिए हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआरएसएएम-सेना के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग की सराहना की और कहा कि सफल प्रक्षेपणों ने एक बार फिर प्रणाली की विश्वसनीयता साबित कर दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने हथियार प्रणाली के सफल परीक्षण फायरिंग से जुड़ी टीमों को बधाई दी।

27 मार्च को लाइव फायरिंग ट्रायल के हिस्से के रूप में मिसाइल प्रणाली का दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, जो विभिन्न रेंज के लिए उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ था। उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ लाइव फायरिंग परीक्षणों के हिस्से के रूप में उड़ान परीक्षण किए गए थे। पहला प्रक्षेपण एक मध्यम ऊंचाई, लंबी दूरी के लक्ष्य को रोकना था और दूसरा कम ऊंचाई, कम दूरी के लक्ष्य की क्षमता को साबित करने के लिए था। यह एमआरएसएएम वर्जन भारतीय सेना द्वारा उपयोग के लिए डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था और इसमें मल्टी-फंक्शन रडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और अन्य वाहन शामिल हैं।

(आईएएनएस)

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