अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
अग्निपथ भर्ती योजना अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को रक्षा बलों के लिए नई शुरू की गई अग्निपथ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। याचिकाओं के बैच की सुनवाई जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना करेंगे।
इनमें सशस्त्र बलों के उम्मीदवारों द्वारा इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग करने वाली याचिका शामिल है, जिसमें कहा गया है कि इस योजना को उन लोगों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, जो पहले से ही चयन प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। इसमें आगे तर्क दिया गया है कि मामला अत्यावश्यक है, क्योंकि कई उम्मीदवारों का करियर दांव पर है। इसमें यह दावा भी किया गया है कि इस योजना के कार्यान्वयन से उम्मीदवारों का कार्यकाल 20 साल से घटाकर 4 साल रह जाएगा।
एडवोकेट एम. एल. शर्मा ने भी अपनी याचिका का उल्लेख किया है, जिसमें शीर्ष अदालत से 14 जून को योजना की घोषणा करने वाले रक्षा मंत्रालय द्वारा अधिसूचना को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है। शर्मा ने कहा है कि सरकार कोई भी योजना ला सकती है लेकिन यह मुद्दा सही और गलत के बारे में है। उन्होंने कहा कि 70,000 से अधिक युवा अभी भी नियुक्ति पत्रों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
इससे पहले दलीलें सुनने के बाद अवकाशकालीन पीठ ने कहा था, इसे दोबारा खोलने के बाद उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें। शर्मा की याचिका में कहा गया है कि युवाओं के एक बड़े वर्ग ने देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना का विरोध करना शुरू कर दिया है।
याचिका में कहा गया है, 14 जून, 2022 को जारी प्रेस नोट के अनुसार, भारतीय सेना में स्थायी कमीशन के लिए चयनित 100 प्रतिशत उम्मीदवारों में से 4 साल बाद, 25 प्रतिशत भारतीय सेना में बने रहेंगे और बाकी 75 प्रतिशत भारतीय सेना में सेवानिवृत्त/अस्वीकार कर दिए जाएंगे। 4 साल के दौरान उन्हें वेतन और भत्तों का भुगतान किया जाएगा, लेकिन 4 साल बाद वंचित उम्मीदवारों को कोई पेंशन आदि नहीं मिलेगी।
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा एक अन्य याचिका दायर कर योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना से जुड़ी याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर कहा है कि कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर सुनवाई होनी चाहिए।
(आईएएनएस)
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