सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाये जाने की मांग की खारिज, कहा - 'यह हमारा काम नहीं'

जनसंख्या नियंत्रण कानून सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाये जाने की मांग की खारिज, कहा - 'यह हमारा काम नहीं'

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-18 14:23 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाये जाने की मांग की खारिज, कहा - 'यह हमारा काम नहीं'
हाईलाइट
  • याचिकाकर्ताओं ने कहा
  • सरकार नहीं दे पा रही बुनियादी सुविधाएं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इस याचिका में लॉ कमीशन को जनसंख्या नियंत्रण के लिए विस्तृत नीति का निर्माण करने की मांग की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि  सरकार को जनसंख्या पर कानून बनाने का आदेश देना हमारा काम नहीं है। यह मामला नीतिगत है। यदि सरकार को इस पर कानून बनाने की जरुरत पड़ेगी तो वह निश्चित ही कोई फैसला लेगी।  

इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस ए एस ओक और जस्टिस संजय किशन कौल की खण्ड पीठ ने की। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से मांग की कि, वह कम से कम लॉ कमीशन को रिपोर्ट तैयार को कहे। उन्होंने कहा, हमारे पास केवल 2 प्रतिशत जमीन और पानी केवल 4 प्रतिशत ही मौजूद है। विश्व की जनसंख्या तकरीबन 20 प्रतिशत हो चुकी है। इस पूरे मामले पर जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले में कोर्ट का दखल देने का काम नहीं है। उन्होंने अपने आगे बयान में कहा, हाल ही में हमने पढ़ा है कि देश में जनसंख्या में वृद्धि पर लगाम लग रही है। आने वाले 10 से 20 सालों में इसमें स्थिरता आ जाएगी। वैसे भी हम एकदम से जनसंख्या नियंत्रण पर काबू नहीं पा सकते। अगर सरकार को लगता है की इस मसले पर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए तो वह स्वतंत्र है। इस पूरे सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि, जितना सरकार कर सकती है उतना अपने स्तर पर जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए प्रयास कर रही है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था । जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि, वह लोगों को मजबूर नहीं कर सकती कि वह एक निश्चित संख्या में बच्चा पैदा करे। यह लोगों की अपनी इच्छा है कि वे कितने बच्चे चाहते हैं। जिस देश ने इस पर कानून बनाए ज्यादा कारगर नहीं साबित हुए हैं। लोगों को अपने स्तर पर सोचना होगा की जितनी कम जनसंख्या होगी उतने ही ज्यादा रिस्रोस का उपयोग कर सकते हैं। 

याचिकाकर्ताओं ने कहा, सरकार नहीं दे पा रही बुनियादी सुविधाएं

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनि उपाध्याय के अलावा धर्म गुरू स्वामी जितेन्द्रनाथ, गुरू देवकी नंदन ठाकुर और मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के पूर्व वाइस चांसलर फिरोज़ बख्त अहमद ने बढ़ती जनसंख्या पर कानून बनाने की मांग की गई थी। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। दायर याचिका में याचिकर्ताओं की ओर से चिंता जताते हुए ये भी कहा गया था,अधिक पॉपुलेशन  की वजह से सरकार सभी को बुनियादी सुविधाएं जैसे रोजगार, स्वास्थ्थ उपचार और आवास नहीं दे पा रही है।

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