सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच का आदेश देने से किया इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा
त्रिपुरा हिंसा सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच का आदेश देने से किया इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा
- डीजीपी त्रिपुरा और त्रिपुरा सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पिछले साल त्रिपुरा हिंसा की एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता से त्रिपुरा हाईकोर्ट जाने को कहा, जो एक संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने उच्च न्यायालय से याचिका का शीघ्र निपटारा करने को कहा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि इस मामले की सुनवाई पहले से ही उच्च न्यायालय द्वारा की जा रही है, जिसने स्वत: संज्ञान लिया है, तो याचिकाकर्ता वहां पर अपनी बात रख सकता है। पीठ ने अधिवक्ता एहतेशम हाशमी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा कि उनके मुवक्किल वहां के मुद्दों को उठा सकते हैं और उच्च न्यायालय न केवल उसके समक्ष मामलों की सुनवाई करेगा, बल्कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों की भी सुनवाई करेगा।
भूषण ने पीठ से उच्च न्यायालय को याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने का आग्रह किया। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने की अनुमति देने के लिए उच्च न्यायालय से अनुरोध करने की भी अनुमति दी और अधिकारियों से कहा कि अगर वह वहां पर शारीरिक (फिजिकल) सुनवाई में शामिल होता है तो वह दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा।
भूषण ने तर्क दिया कि गंभीर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जहां मस्जिदों को जलाया गया था। भूषण ने कहा, हम हिंसा की स्वतंत्र जांच के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अभी भी इनकार कर रहे हैं और वह सभी सांप्रदायिक हिंसा से भी इनकार कर रहे हैं और कहते हैं कि कोई मस्जिद नहीं जलाई गई है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, यदि राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पहले से ही स्वत: संज्ञान लेने के बाद सुनवाई कर रहे हैं, तो हमें इस समय हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उच्च न्यायालय में अविश्वास की अभिव्यक्ति होगी।
भूषण ने कहा कि उच्च न्यायालय केवल मुआवजे की प्रार्थना पर गौर कर रहा है और उनके मुवक्किल निष्पक्ष एसआईटी जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों द्वारा दंडात्मक कार्रवाई के संबंध में अपने मुवक्किल की आशंकाओं का भी उल्लेख किया। पीठ ने जवाब दिया कि अदालत उनके मुवक्किल की रक्षा करेगी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 नवंबर को त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था। याचिका में केंद्र, डीजीपी त्रिपुरा और त्रिपुरा सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि पिछले साल 13 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के बीच त्रिपुरा में संगठित भीड़ द्वारा घृणित अपराध किए गए थे। याचिका में कहा गया है, इसमें मस्जिदों को नुकसान पहुंचाना, मुसलमानों के स्वामित्व वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जलाना, इस्लामोफोबिक और नरसंहार से जुड़े नफरत के नारे लगाने वाली रैलियां आयोजित करना और त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में मुसलमानों को निशाना बनाकर नफरत भरे भाषण देना शामिल है।
(आईएएनएस)