असम NRC मामले में SC का आदेश, 25 सितंबर से शुरू होगी दावे और आपत्तियों के निपटारे की प्रक्रिया
असम NRC मामले में SC का आदेश, 25 सितंबर से शुरू होगी दावे और आपत्तियों के निपटारे की प्रक्रिया
- असम देश का इकलौता राज्य है
- जहां NRC बनाया जा रहा है।
- असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) मामले में SC आज करेगा सुनवाई।
- जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी सुनवाई।
- जुलाई में जारी NRC की सूची में सैकड़ों हिन्दी भाषियों के नाम भी शामिल नहीं थे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) मामले में बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने NRC के ड्राफ्ट रजिस्टर में जगह न पाने वाले लोगों के दावे और आपत्तियों के निपटारे की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू करने का आदेश दिया है। SC ने साफ किया है कि यह प्रक्रिया 60 दिन तक चलेगी और पहचान के लिए कुल 10 तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
Assam NRC matter: Supreme Court division bench, headed by Justice Ranjan Gogoi, said that the filing of claims and objections will start from September 25 and would be open for a period of 60 days, till November 25.
— ANI (@ANI) September 19, 2018
15 में से 10 दस्तावेज दिखा सकते हैं नागरिक
SC के आदेश के अनुसार NRC की दूसरी सूची से बाहर होने वाले नागरिक 25 सितंबर से 60 दिनों तक यानी 25 नवंबर तक अपनी नागरिकता साबित कर सकेंगे। कोर्ट ने नागरिकों को राहत देते कहा है वह 15 दस्तावेजों में से 10 दस्तावेजों को दिखा सकते हैं। दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला की तरफ से दाखिल किए गए सुझाव और रिपोर्ट को केंद्र सरकार को देने से इनकार कर दिया था।
टाल दी गई थी NRC में नाम शामिल करने के दावे पेश करने की तारीख
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, सरकार ने जो 15 अतिरिक्त दस्तावेज की लिस्ट दी है, उसमें से 10 दस्तावेजों के वेरीफिकेशन की इजाजत दी जा सकती है। क्योंकि, इन दस्तावेज का फर्जीवाड़ा करने की गुंजाइश कम है। SC ने फाइनल NRC में नाम शामिल करने के दावे पेश करने की तारीख को टाल दिया था।
SC ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते में मांगा था जवाब
स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने SC में रिपोर्ट दायर कर दावे पेश करने के साथ ही 15 अतिरिक्त दस्तावेज में से सिर्फ 10 को स्वीकार किए जाने का सुझाव दिया था। इस पर केंद्र सरकार और अन्य पक्षकारों से दो हफ्ते में जवाब मांगा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, इस मामले में केंद्र सरकार दो हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करे। केंद्र के जवाब के बाद ही कोर्ट अपना आदेश जारी करेगा। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आपत्तियों को दर्ज करने की तारीख को आगे बढ़ा दिया था। अब बुधवार को कोर्ट तय करेगा कि आपत्तियों को कब से दर्ज कराया जाए। वहीं, AG केके वेणुगोपाल ने रिपोर्ट भी मांगी थी।
SC ने अतिरिक्त दस्तावेज देने की छूट पर उठाए थे सवाल
इससे पहले SC ने कहा था, NRC ड्राफ्ट में शामिल लोगों की पुर्नजांच के लिए 10 फीसदी लोगों का सैम्पल सर्वे होना चाहिए। कोर्ट ने सर्वे शुरू करने और खत्म होने की समय सीमा पर राज्य संयोजक से रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने फाइनल NRC में शामिल होने के लिए दिए जाने वाले दावे और आपत्तियों में लीगेसी (पैत्रिकता) बदलने और अतिरिक्त दस्तावेज देने की छूट पर भी सवाल उठाया था, साथ ही रिपोर्ट भी मांगी थी।
असम देश का इकलौता राज्य है, जहां राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी NRC बनाया जा रहा है। दरअसल एनआरसी वो प्रक्रिया है, जिससे देश में गैर-कानूनी तौर पर रह विदेशी लोगों को खोजने की कोशिश की जाती है। असम में आजादी के बाद 1951 में पहली बार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन बना था। लेकिन असम में 1971 के बाद कथित तौर पर हुई घुसपैठ के खिलाफ यहां के स्वदेशी संगठनों ने आवाज़ उठाई और देखते ही देखते राज्य में व्यापक स्तर पर अवैध विदेशी नागरिकों को भगाने के लिए असमिया जाति के लोगों ने गोलबंद होना शुरू कर दिया था।
असम आंदोलन में मारे गए थे सैकड़ों लोग
1979 से लगातार 6 साल तक असम आंदोलन चला। इसमें 855 आंदोलनकारी मारे गए। 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी और आंदोलनकारियों के बीच असम समझौता हुआ और इसी समझौते की शर्तों के अनुसार राज्य में घुसपैठियों की शिनाख्त कर उन्हें देश से बाहर निकालने का फैसला लिया गया।
NRC की सूची में कई हिन्दी भाषी लोगों के नाम भी शामिल नहीं
30 जुलाई 2018 को जारी की गई NRC की फाइनल सूची में कई कमियां सामने आईं। भारतीय नागरिकता से जुड़ा ये मुद्दा पेचीदा होता जा रहा है, क्योंकि सालों से यहां बसे कई हिंदी भाषी लोगों का नाम वैध सूची में शामिल नहीं थे। NRC में शामिल होने के लिए आवेदन किए 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं और इसमें 40-41 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। असम में 30 जुलाई को प्रकाशित की गई NRC की फाइनल सूची में जिन 40 लाख लोगों को भारतीय नागरिक नहीं माना गया है, उनमें सैकड़ों लोग हिंदी भाषी हैं। वहीं असम में कई भूतपूर्व सैनिकों का नाम भी नागरिकता रजिस्टर में शामिल नहीं है। ऐसे में अब उन्हें भी भारतीय होने की अपनी पहचान साबित करना पड़ेगा।