सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने को कहा
जयललिता की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने को कहा
- पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2016 को 68 साल की उम्र में हुआ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत पर तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए गठित जांच आयोग की मदद के लिए दिल्ली एम्स के निदेशक को डॉक्टरों और विशेषज्ञों के एक पैनल बनाने के लिए कहा है।
तमिलनाडु सरकार ने 25 सितंबर, 2017 को मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. अरुमुघस्वामी की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि मामले के निपटारे में आयोग की सहायता के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करना उचित है।
पीठ ने कहा, हम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के निदेशक से अनुरोध करते हैं कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री की बीमारियों के उपचार के तौर-तरीके जांचने के लिए डॉक्टरों, विशेषज्ञ के एक पैनल को नामित करें।
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस प्रकार गठित मेडिकल बोर्ड को कार्यवाही के पूरे रिकॉर्ड आयोग को सौंपने होंगे। इस प्रकार गठित मेडिकल बोर्ड को आयोग की सभी आगे की कार्यवाही में भाग लेने और रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत करने की अनुमति है।
शीर्ष अदालत ने 30 नवंबर को कहा था कि वह न्यायमूर्ति अरुमुघस्वामी जांच आयोग की मदद के लिए एम्स के डॉक्टरों के एक मेडिकल बोर्ड के गठन की अनुमति देने का आदेश पारित करेगी। इस मामले में आदेश हाल ही में अपलोड किया गया था।
अपोलो हॉस्पिटल्स ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए आरोप लगाया था कि पहले का पैनल पक्षपाती था, स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता था और अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर तथ्य खोजने का अभ्यास कर रहा था। हालांकि पैनल ने पक्षपात के आरोप को नकार दिया था।
शीर्ष अदालत ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा, हमारा विचार है कि अपीलकर्ता-अस्पताल और प्रतिवादी संख्या 3 (वी.के. शशिकला) द्वारा दिए गए आवेदन पर गौर करते हुए आयोग के रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों, बयानों और अभिलेखों को पेश किया जाना उचित होगा।
पीठ ने अपोलो को किसी भी गवाह या व्यक्ति से जिरह करने की अनुमति मांगने के लिए एक उपयुक्त आवेदन करने की भी अनुमति दी। इसमें वे गवाह भी शामिल हैं, जिनके साक्ष्य बंद कर दिए गए हैं और कहा गया कि वे अपना साक्ष्य पेश कर सकते हैं।
आगे कहा गया है, अगर ऐसा कोई आवेदन दायर किया जाता है, तो हम आयोग से इस पर विचार करने और उस पर उचित आदेश पारित करने का अनुरोध करते हैं।
शीर्ष अदालत ने आयोग से शशिकला को जांच के उचित चरण में सबूत पेश करने की अनुमति देने को भी कहा।
आयोग को उन परिस्थितियों की जांच करने का काम सौंपा गया है, जिसके कारण 22 सितंबर, 2016 को जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
(आईएएनएस)