रायबरेली: नामांकन के बाद बोलीं सोनिया गांधी- 2004 ना भूलें पीएम मोदी

रायबरेली: नामांकन के बाद बोलीं सोनिया गांधी- 2004 ना भूलें पीएम मोदी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-11 03:13 GMT
हाईलाइट
  • नामांकन से पहले हवन और रोड शो किया।
  • राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रहे मौजूद।
  • सोनिया गांधी ने रायबरेली से भरा नामांकन।

डिजिटल डेस्क, रायबरेली। लोकसभा चुनाव के लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के रायबरेली से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। पर्चा भरने के बाद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चेतावनी देते हुए कहा, 2004 मत भूलिए। उन्होंने यह भी कहा, वाजपेयी भी अजेय थे लेकिन हम जीते। बता दें कि 2004 में सभी सियासी पंडितों के दावों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने वाजपेयी सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। 

रायबरेली में सोनिया के साथ मौजूद राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी पर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा, भारत के इतिहास में ऐसे कई लोग हुए हैं जिन्हें यह अहंकार था कि भारत के लोगों की तुलना में वे बड़े और अजेय हैं, लेकिन देश के लोगों से बड़ा कुछ नहीं है। पीएम मोदी ने पिछले 5 सालों में भारत के लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया। उन्होंने पीएम ये सवाल भी पूछा कि, नरेंद्र मोदी सिर्फ जवाब दें अनिल अंबानी को राफेल का कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया।

नामांकन दाखिल करने से पहले सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी दफ्तर में हवन-पूजा की। इसके बाद उन्होंने रोड शो किया। लगभग 700 मीटर के रास्ते पर रोड शो करते हुए सोनिया गांधी कलेक्ट्रेट पहुंची और नामांकन दाखिल किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा रॉबर्ट वाड्रा रेहान और मिराया वाड्रा भी मौजूद रहे। अब वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी करेंगी। 

 

सोनिया गांधी 5वीं बार रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं। सोनिया गांधी का मुकाबला कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दिनेश प्रताप सिंह से है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के इस गढ़ में अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। रायबरेली में पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होना है। 

रायबरेली सीट गांधी परिवार का मजबूत गढ़ रही है और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कर्मभूमि मानी जाती है। यहां से पहली बार 1952 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने जीत हासिल कर कांग्रेस का खाता खोला था। महज 3 बार यहां कांग्रेस को मात मिली है, वो भी तब जब यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं उतरा था।

 

 



 

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