सुप्रीम कोर्ट से शरद यादव को लगा झटका, वेतन भत्तों पर लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट से शरद यादव को लगा झटका, वेतन भत्तों पर लगी रोक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-07 12:42 GMT
सुप्रीम कोर्ट से शरद यादव को लगा झटका, वेतन भत्तों पर लगी रोक
हाईलाइट
  • पिछले साल शरद यादव को राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
  • शरद यादव जदयू के बाद बिहार में राजद-कांग्रेस के महागठबंधन से जुड़ गए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट के जज ए.के गोयल और अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने सुनाया फैसला।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से शरद यादव को थोड़ी राहत मिलने के साथ-साथ थोड़ा झटका भी लगा है। सरकारी बंगला खाली करने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाइकोर्ट के ऑर्डर में कुछ संशोधन किए। कोर्ट ने साफ किया कि शरद अब सैलरी नहीं ले सकेंगे और साथ ही उन्हें किसी तरह का अलाउंस, हवाई और रेल टिकट जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी। हालांकि, राज्यसभा में चल रहे अयोग्यता के मामले की सुनवाई तक वह बंगला रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज ए.के गोयल और अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने यह फैसला दिया है।  

 

 

अदालत ने जदयू के पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव के वेतन भत्तों पर रोक लगा दी है। शरद यादव ने पिछले साल दिल्ली हाइकोर्ट का रुख किया था, सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले पर भी जल्दी सुनवाई करने को कहा है। शरद यादव की तरफ से अदालत में दलील दी गई थी कि उन्हें राज्यसभा में अध्यक्ष ने अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने रामचंद्र प्रसाद सिंह की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर किया। इसके साथ ही शरद यादव को नोटिस जारी किया था। रामचंद्र प्रसाद सिंह की तरफ से कहा गया था कि शरद यादव और अली अनवर ने पटना में विपक्षी पार्टी की रैली में हिस्सा लेकर पार्टी के सिद्धांतों को तोड़ा है।


शरद यादव बिहार में राजद-कांग्रेस के महागठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। वह वर्ष 2016 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में खत्म होने वाला था। लेकिन Anti defection law के तहत दोनों ही नेताओं की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। 


क्या है मामला 

जेडी (यू) के राज्यसभा सदस्य रामचंद्र प्रसाद सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में जेडी(यू) के पूर्व नेता शरद यादव को दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जो बंगले को खाली करवाने की मांग की गई थी। बीते साल शरद यादव और उनके साथ अली अनवर को राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दोनों नेता जेडी(यू) द्वारा बीजेपी से हाथ मिलाने पर नाराज थे। इसके चलते दोनों ने बगावत कर दी थी। दोनों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत की थी। जिसके बाद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।  

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