CAA को लेकर कर्नाटक बंद का आहवान, बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में लगाई गई धारा 144
CAA को लेकर कर्नाटक बंद का आहवान, बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में लगाई गई धारा 144
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध को देखते हुए बेंगलुरु, कालाबुरागी और मैसूर में गुरुवार से धारा 144 लगाई जा रही है। वामपंथी और मुस्लिम संगठन के कंसोर्टियम की और से बुलाए गए राज्यव्यापी बंद को देखते हुए धारा 144 लगाने का आदेश जारी किया गया है। हालांकि स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक परिवहन और व्यावसायिक प्रतिष्ठान रोज की ही तरह खुले रहेंगे।
बेंगलुरु के सिटी कमिश्नर भास्कर राव ने कहा कि धारा 144 गुरुवार सुबह 6 बजे से 21 दिसंबर की मध्यरात्रि तक लगाई जाएगी। उन्होंने कहा, "बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। रैली और विरोध के लिए अब तक जारी सभी अनुमति रद्द कर दी गई है।"
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएबी) को लेकर बीते कई दिनों से दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को ये प्रदर्शन उग्र हो गया था। पुलिस कार्रवाई में कई छात्र बुरी तरह से जख्मी भी हो गए थे।
जामिया यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर वसीम रिजवी ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस ने कैंपस में जबरन घुसकर छात्रों के साथ बर्बरता की। उन्होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी की प्रॉपर्टी को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया है। हम प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने और छात्रों के खिलाफ पुलिस एक्शन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे।
इन आरोपों का जवाब देते हुए डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने कहा था कि कैंपस के अंदर से हम पर पथराव किया गया था। इस पथराव में 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रॉक्टर को जांच करनी चाहिए कि कौन लोग हैं जिन्होंने हम पर पथराव किया।
नागरिकता एक्ट के जरिए पड़ोसी तीनों देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। इन लोगों को नागरिकता के लिए भारत में कम से कम 6 साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था।