उत्तराखंड ऋषिगंगा त्रासदी: अब तक 38 लोगों के शव निकाले, ऋषि गंगा नदी के पास बनी झील तक पहुंची SDRF, फिलहाल खतरा नहीं
उत्तराखंड ऋषिगंगा त्रासदी: अब तक 38 लोगों के शव निकाले, ऋषि गंगा नदी के पास बनी झील तक पहुंची SDRF, फिलहाल खतरा नहीं
- जल स्तर बढ़ने पर एलर्ट करेगी टीमें
- झील के जल स्तर नजर रखेंगी टीमें
- पैंग
- रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक एक टीम तैनात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद भंयकर तबाही हुई थी। चमोली पुलिस के मुताबिक हादसे के बाद से अब तक कुल 38 लोगों के शव बरामद हुए हैं। इनमें से 10 लोगों की पहचान हो चुकी है। वहीं तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है। टनल के अंदर ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वहीं ग्लेशियर टूटने के कारण ऋषि गंगा के पास एक झील भी बन गई, जिससे खतरे का अंदेशा वैज्ञानिकों ने जताया था। यहां उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (SDRF) के जवानों की टीम शनिवार को पहुंची। एसडीआरएफ की टीम ने उस क्षेत्र का निरीक्षण किया, जहां झील बनी है। टीम ने बताया कि फिलहाल कोई खतरा नहीं है। लेकिन, टीम स्थिति पर नजर बनाए हुए है। रिदिम अग्रवाल, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि एसडीआरएफ की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में हैं।
पैंग, रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक एक टीम तैनात
राज्य सरकार के मुताबिक लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड सतर्क है व राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है। पैंग से लेकर तपोवन तक एसडीआरएफ द्वारा मैन्युअली अर्ली वॉर्निंग सिस्टम विकसित किया गया है। पैंग, रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक-एक टीम तैनात की गई हैं। एसडीआरएफ अर्ली वॉर्निंग सिस्टम टीम के अंतर्गत पहली टीम पेंग गांव में तैनात की गई है। इस टीम में 3 कर्मचारी तैनात किए गए हैं। दूसरी टीम रैणी गांव मैं तैनात की गई है और तीसरी टीम तपोवन गांव में कार्यरत है।
झील के जल स्तर नजर रखेंगी टीमें
उत्तराखंड के प्रभावित इलाके में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है। इसके अंतर्गत दूरबीन, सैटेलाइट फोन व पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम से लैस एसडीआरएफ की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी।
जल स्तर बढ़ने पर एलर्ट करेगी टीमें
पैंग गांव से तपोवन की कुल दूरी 10.5 किलोमीटर है। उत्तराखंड प्रशासन के मुताबिक यदि किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है तो ये अर्ली वार्निंग एसडीआरएफ की टीमें तुरंत सूचना प्रदान करेंगी। ऐसी स्थिति में नदी के पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट के अंदर तुरंत खाली कराया जा सकता है। एसडीआरएफ के दलों ने रैणी से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है।
दो-तीन दिन में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लग जाएगा अर्ली वॉर्निंग सिस्टम
दो-तीन दिन में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा, जिससे पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी। इस बारे में एसडीआरएफ की ये टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही हैं।